स्वमान : मै lovefull हुं !
१४-०१-०१२, शनिवार
मीठे बच्चे,
खामीयो का दान देकर फीर अगर कोइ भूल हो जाये तो बताना है, मीया मीठु नहि बनना है ! कभी भी रुठना नहि है !
प्रश्न : कौनसी बात सीमरन कर अपार खुशी में रहो ? कीस बात से कभी रंज नहि होना है ?
सीमरन करो हम अभी राजयोग सीख रहे है, फीर जा कर सूर्यवंशी,चंद्रवंशी राजा बनेगें ! सुंदर सुंदर महेल बनायेगें, हम जाते है अपने सुखधाम via शांतिधाम, वहां सब first class चीजे होगीं, तन भी बहुत सुंदर निरोगी मीलेगा, यहां अगर इस पीछाडी के पुराने शरीरमें बीमारी आदी होती है तो रंज नहि होना चाहीए, दवाइ करनी है !
गीत : महेफील में जल उठी शमा परवाने के लीए...
धारणा के लीए सार : जो ज्ञानयोग में तीखे है, अच्छी service करते है उन्हे बहुत बहुत regard देना है ! आप आप कह बात करनी है, आपस में कभी रूठना नहि है !
-ब्राह्मण कुलमें बहुत बहुत खीरखंड होकर रहेना है ! ध्धुतेपन, परचिंतनसे अपनी संभाल करनी है ! सत्संग जरूर करना है !
वरदान : स्मृति स्वरूप के वरदान द्वारा सदा शक्तीशाली स्थिति का अनुभव करनेवाले सहज पुरूषार्थी भव!
स्लोगन : ज्ञान की पराकाष्ठा पर पहोंचना है तो गुप्तरूप से पुरूषार्थ करो !
स्वमान : मै फरिस्ता हुं !
१५-०१-२०१२, रविवार
प्रात:मुरली ओम् शान्ति अव्यक्त-बापदादा'' रिवाइज:28-04-74 मधुबन
टाइटलः स्थुल के साथ-साथ सूक्ष्म साधनों से ईश्वरीय-सेवा में सफलता
वरदान: बाप द्वारा प्राप्त हुए सर्व खजानों को कार्य में लगाकर बढ़ाने वाले ज्ञानी-योगी तू आत्मा भव
स्लोगन: स्वभाव और विचारों में अन्तर होते हुए भी स्नेह में अन्तर नहीं होना चाहिए।
परमात्म प्यार में समा जाओ :
दुनिया जिस प्यार के एक बूँद की प्यासी है, वह प्रभु प्यार आप बच्चों की प्रापर्टी है। उसी प्रभु प्यार से पलते हो अर्थात् ब्राह्मण जीवन में आगे बढ़ते हो। तो सदा प्यार के सागर में लवलीन रहो, यह परमात्म प्यार ही इस ब्राह्मण जीवन का आधार है।
स्वमान : मै स्वमानधारी हुं !
१६-०१-२०१२, सोमवारमीठे बच्चे,
देह-अभिमान में आने से ही विकर्म बनते हैं, इसलिए प्रतिज्ञा करो और सब संग तोड़ एक संग जोड़ेंगे
प्रश्न: कौन सा खेल नेचुरल है लेकिन मनुष्य उसे गॉडली एक्ट समझते हैं?
उत्तर: ड्रामा में यह जो नेचुरल कैलेमिटीज़ आती हैं, विनाश के समय एक ही समुद्र की लहर में सब खण्ड टापू आदि खत्म हो जाते हैं, जिसका रिहर्सल अभी भी होता रहता है, यह सब नेचुरल खेल है। इसे मनुष्य गॉडली एक्ट कह देते हैं। परन्तु बाबा कहते मैं कोई डायरेक्शन नहीं देता हूँ, यह सब ड्रामा में नूंध है।
गीत: कौन आया मेरे मन के द्वारे...
धारणा के लिए मुख्य सार:
1) ज्ञान की धारणा के लिए जितना हो सके, देही-अभिमानी रहना है। अशरीरी बनने का अभ्यास रात को जागकर करना है।
2) कैसे भी करके मुरली रोज़ सुननी वा पढ़नी है। एक दिन भी मिस नहीं करनी है और संग तोड़ एक संग जोड़ने की प्रतिज्ञा करनी है।
वरदान: कर्म और योग के बैलेन्स द्वारा निर्णय शक्ति को बढ़ाने वाले सदा निश्चिंत भव
सदा निश्चिंत वही रह सकते हैं जिनकी बुद्धि समय पर यथार्थ जजमेंट देती है क्योंकि दिन-प्रतिदिन समस्यायें, सरकमस्टांश और टाइट होने हैं, ऐसे समय पर कर्म और योग का बैलेन्स होगा तो निर्णय शक्ति द्वारा सहज पार कर लेंगे। बैलेन्स के कारण बापदादा की जो ब्लैसिंग प्राप्त होगी उससे कभी संकल्प में भी आश्चर्यजनक प्रश्न उत्पन्न नहीं होंगे। ऐसा क्यों हुआ, यह क्या हुआ..यह क्वेश्चन नहीं उठेगा। सदैव यह निश्चय पक्का होगा कि जो हो रहा है उसमें कल्याण छिपा हुआ है।
स्लोगन: एक बाबा से सर्व संबंधों का रस लो और किसी की भी याद न आये।
परमात्म प्यार में समा जाओ:
कर्म में, वाणी में, सम्पर्क व सम्बन्ध में लव और स्मृति व स्थिति में लवलीन रहो। जो जितना लवली होगा, वह उतना ही लवलीन रह सकता है। जब आप बच्चे बाप के लव में लवलीन रहेंगे तो औरों को भी सहज आप-समान व बाप-समान बना सकेंगे।
स्वमान : मै बेफीकर बादशाह हुं !
०१७-०१-२०१२, मंगळ्वार
मीठे बच्चे,
सर्वशक्तिमान् बाप की याद से आत्मा पर चढ़ी हुई विकारों की जंक को उतारने का पुरूषार्थ करो !
प्रश्न: बाप से बुद्धियोग टूटने का मुख्य कारण वा जोड़ने का सहज पुरुषार्थ क्या है?
उत्तर: बुद्धियोग टूटता है देह-अभिमान में आने से, बाप के फरमान को भूलने से, गन्दी दृष्टि रखने से इसलिए बाबा कहते बच्चे जितना हो सके आज्ञाकारी बनो। देही-अभिमानी बनने का पूरा-पूरा पुरूषार्थ करो। अविनाशी सर्जन की याद से आत्मा को शुद्ध बनाओ।
गीत: आने वाले कल की तुम...
धारणा के लिए मुख्य सार: 1) बाप की आशीर्वाद लेने के लिए आज्ञाकारी बनना है। देही-अभिमानी बनने का फरमान पालन करना है।
2) माया चूही है, इससे अपनी सम्भाल करनी है। लोभ नहीं करना है। श्रीमत पर पूरा-पूरा चलते रहना है।
वरदान: एक के पाठ को स्मृति में रख तपस्या में सफलता प्राप्त करने वाले निरन्तर योगी भव
स्लोगन: आज्ञाकारी वो हैं जो मन और बुद्धि को मनमत से सदा खाली रखते हैं।
परमात्म प्यार में समा जाओ :मास्टर नॉलेजफुल, मास्टर सर्वशक्तिवान की स्टेज पर स्थित रह भिन्न-भिन्न प्रकार की क्यू से निकल, बाप के साथ सदा मिलन मनाने की लगन में अपने समय को लगाओ और लवलीन स्थिति में रहो तो और सब बातें सहज समाप्त हो जायेंगी, फिर आपके सामने आपकी प्रजा और भक्तों की क्यू लगेगी।
स्वमान : मै दीलतख्तनशीन हूं !
१८-०१-२०१२, बुधवार
शिवबाबा याद है?
18-01-12 प्रात:मुरली ओम् शान्ति ''बापदादा'' मधुबन
''मीठे बच्चे बाप के बने हो तो कदम-कदम श्रीमत पर चलते रहो, एवरहेल्दी बनना है तो एवर याद में रहो''
प्रश्न: सबसे बड़ा पुण्य कौन सा है? संगम पर पुण्यात्मा किसे कहेंगे?
उत्तर: अविनाशी ज्ञान रत्नों का दान करना - यह सबसे बड़ा पुण्य है। संगम पर पुण्यात्मा वह है जो ज्ञान रत्नों को धारण करता है। अभी तुम उस विनाशी धन से बेगर बनते हो और अविनाशी ज्ञान धन से भरपूर हो 21 जन्मों के लिए साहूकार बन जाते हो।
गीत: यह कौन आज आया सवेरे-सवेरे...
वरदान: बापदादा के स्नेह के रिटर्न में समान बनने वाले तपस्वीमूर्त भव !
स्लोगन: शीतल बन दूसरों को शीतल दृष्टि से निहाल करने वाले शीतल योगी बनो।
परमात्म प्यार में समा जाओ
आप गोप-गोपियों के चरित्र गाये हुए हैं - बाप से सर्व-सम्बन्धों का सुख लेना और मग्न रहना अथवा सर्व-सम्बन्धों के लव में लवलीन रहना। तो स्नेह के सागर में समा जाओ अर्थात् बाप का स्वरूप बन जाओ। ब्रह्मा बाप के स्नेह का रिटर्न समान बनकर दिखाओ।
स्वमान : मै ब्रह्माबाप समान हुं !
१९-०१-२०१२, गुरुवार
''मीठे बच्चे - समझदार बन हर काम करो, माया कोई भी पाप कर्म न करा दे इसकी सम्भाल करो''
प्रश्न: बाप का नाम बाला करने के लिए कौन सी धारणायें चाहिए?
उत्तर: नाम बाला करने के लिए ईमानदार, वफादार बनो। सच्चाई के साथ सेवा करो। बहती गंगा बन
सबको बाप का संदेश देते जाओ। अपनी कर्मेन्द्रियों पर पूरा कन्ट्रोल रख, आशाओं को छोड़ कायदेसिर
चलन चलो, सुस्त नहीं बनो। ज्ञान-योग की पहले खुद में धारणा हो तब बाप का नाम बाला कर सकेंगे।
गीत:- आज के इंन्सान को...
धारणा के लिए मुख्य सार:
1) अंगद मिसल अचल-अडोल बनना है, समय निकाल सच्चाई से, निर्भय हो सर्विस जरूर करनी है।
सर्विस से ही ताकत आयेगी।
2) देह-अभिमान की बीमारी से बचने के लिए भोजन बहुत योगयुक्त होकर खाना है। हो सके तो अपने हाथ
से बनाकर शुद्ध भोजन स्वीकार करना है।
वरदान: सर्व आत्माओं को शुभ भावना, शुभ कामना की अंचली देने वाले सच्चे सेवाधारी भव
स्लोगन: पवित्रता ही ब्राह्मण जीवन का मुख्य फाउन्डेशन है, धरत परिये धर्म न छोड़िये।
परमात्म प्यार में समा जाओ
इस समय आप बच्चे नॉलेज के आधार से बाप की याद में समा जाते हो, यह समाना ही लवलीन स्थिति
है। जब लव में लीन हो जाते हो अर्थात् लगन में मग्न हो जाते हो तब बाप के समान बन जाते हो, इसी को
भक्तों ने समा जाना (लीन होना) कह दिया है।
स्वमान : मै luckiest हुं !
२०-०१-२०१२, शुक्रवार
मीठे बच्चे,
ज्ञान रत्नों को धारण कर रूहानी हॉस्पिटल, युनिवर्सिटी खोलते जाओ, जिससे सबको हेल्थ वेल्थ मिले''
प्रश्न: बाप का कौन सा कर्तव्य कोई भी मनुष्य आत्मा नहीं कर सकती है?
उत्तर: आत्मा को ज्ञान का इन्जेक्शन लगाकर उसे सदा के लिए निरोगी बनाना, यह कर्तव्य कोई भी मनुष्य नहीं कर सकते। जो आत्मा को निर्लेप मानते, वह ज्ञान का इन्जेक्शन कैसे लगायेंगे। यह कर्तव्य एक अविनाशी सर्जन का ही है जो ऐसी ज्ञान-योग की दवाई देते हैं जिससे आधाकल्प के लिए आत्मा और शरीर दोनों ही हेल्दी-वेल्दी बन जाते हैं।
गीत: यह वक्त जा रहा है...
धारणा के लिए मुख्य सार:
1) बाप के समीप आने के लिए रूहानी यात्रा पर रहना है। रात को जागकर भी यह बुद्धि की यात्रा जरूर करनी है।
2) सच्चे-सच्चे ब्राह्मण बन 21 कुल का उद्धार करना है। स्वदर्शन चक्रधारी बनना है। काल पर विजय पाने के लिए इस पुरानी खाल से ममत्व निकाल देना है।
वरदान: सदा ऊंची स्थिति के श्रेष्ठ आसन पर स्थित रहने वाली मायाजीत महान आत्मा भव !
जो महान आत्मायें हैं वह सदैव ऊंची स्थिति में रहती हैं। ऊंची स्थिति ही ऊंचा आसन है। जब ऊंची स्थिति के आसन पर रहते हो तो माया आ नहीं सकती। वो आपको महान समझकर आपके आगे झुकेगी, वार नहीं करेंगी, हार मानेंगी। जब ऊंचे आसन से नीचे आते हो तब माया वार करती है। आप सदा ऊंचे आसन पर रहो तो माया के आने की ताकत नहीं। वह ऊंचे चढ़ नहीं सकती।
स्लोगन: शान्ति का दूत बन सबको शान्ति का दान दो - यही आपका आक्यूपेशन है।
परमात्म प्यार में समा जाओ
जैसे कोई सागर में समा जाए तो उस समय सिवाय सागर के और कुछ नज़र नहीं आयेगा। तो सर्वगुणों के सागर बाप में समा जाना, इसको ही लवलीन स्थिति कहते हैं। तो बाप में नहीं समाना है, लेकिन बाप की याद में, स्नेह में समा जाना है।
स्वमान : मै हर्षितमुख आत्मा हुं !
२१-०१-२०१२, शनिवार
मीठे बच्चे,
किसी भी प्रकार की हबच (लालच) तुम बच्चों को नहीं रखनी है, किसी से भी कुछ मांगना नहीं है, क्योंकि तुम दाता के बच्चे देने वाले हो।
प्रश्न: तुम गाडली स्टूडेन्ट हो, तुम्हारा लक्ष्य क्या है, क्या नहीं?
उत्तर: तुम्हारा लक्ष्य है - बाप द्वारा जो नॉलेज मिल रही है, उसे धारण करना, पास विद आनर बनना। बाकी यह चाहिए, यह चाहिए... ऐसी इच्छायें रखना तुम्हारा लक्ष्य नहीं। तुम किसी भी मनुष्य आत्मा से लेन-देन करके हिसाब-किताब नहीं बनाओ। बाप की याद में रह कर्मातीत बनने का पुरुषार्थ करो।
गीत: बचपन के दिन भुला न देना...
धारणा के लिए मुख्य सार:
1) लौकिक सब इच्छायें छोड़ ईश्वरीय कुल की वृद्धि करने में मददगार बनना है, कोई भी डिससर्विस का काम नहीं करना है।
2) लेन-देन का कनेक्शन एक बाप से रखना है, किसी देहधारी से नहीं।
वरदान: ब्राह्मण जीवन में बधाईयों की पालना द्वारा सदा वृद्धि को प्राप्त करने वाले पदमापदम भाग्यवान भव !
स्लोगन: सच्ची सेवा द्वारा सर्व की आशीर्वाद प्राप्त करने वाले ही तकदीरवान हैं।
परमात्म प्यार में समा जाओ
बापदादा का बच्चों से विशेष स्नेह वा शुभ ममता है। जैसे माँ की बच्चों में ममता होती है, ऐसे ब्रह्मा माँ की आप बच्चों से विशेष ममता है सिर्फ तड़फते नहीं हैं लेकिन समा जाते हैं। ऐसे आप भी बाप के स्नेह में सदा समाये रहो। व्यक्त से अव्यक्तवतन वासी बन जाओ।
२२-०१-२०१२, रविवार
''अव्यक्त-बापदादा'' रिवाइज:02-05-74 अब बाप-समान सर्व गुण सम्पन्न बनो
महारथीपन के लक्षण
वरदान: यथार्थ विधि द्वारा व्यर्थ को समाप्त कर नम्बरवन लेने वाले परमात्म सिद्धि स्वरूप भव
स्लोगन: अपकारी पर भी उपकार करने वाला ही ज्ञानी तू आत्मा है।
परमात्म प्यार में समा जाओ
त्यागी और तपस्वी अर्थात् सदा बाप की लग्न में लवलीन, प्रेम के सागर में समाए हुए, ज्ञान, आनन्द, सुख, शान्ति के सागर में समाये हुए को ही कहेंगे-तपस्वी। ऐसे त्यागी, तपस्वी मूर्त बनो।
स्वमानः- मै Light might स्वरुप हूं
२३-०१-२०१२, सोमवार
श्रेष्ठ बनना है तो श्रीमत पर पुरा पुरा चलो, श्रीमत पर न चलना ही सबसे बडी खामी है !
प्रश्नः कीन बच्चोका गला घुंट जाता है ? बुध्धिसे ज्ञान नीकल जाता है ?
उतरः जो चलते चलते अपवित्र बन जाते है, पढाइ छोड बाप को फारगती दे देते है, उनकी बुध्धिसे ज्ञान नीकल जाता है, जब तक