२१-०९-२०१४, रविवार
21-09-14 प्रात:मुरली ओम् शान्ति ’अव्यक्त-बापदादा“ रिवाइज: 19-12-78 मधुबन
रीयल्टी ही सबसे बड़ी रॉयल्टी है
वरदान: मनमनाभव के मन्त्र द्वारा मन के बन्धन से छूटने वाले निर्बन्धन, ट्रस्टी भव
कोई भी बंधन ापिंजड़ा है। ापिंजड़े की मैना अब निर्बन्धन उड़ता पंछी बन गयी। अगर कोई तन का बंधन भी है तो भी मन उड़ता पंछी है क्योंकि मनमनाभव होने से मन के बन्धन छूट जाते हैं। प्रवृत्ति को सम्भालने का भी बन्धन नहीं। ट्रस्टी होकर सम्भालने वाले सदा निर्बन्धन रहते हैं। गृहस्थी माना बोझ, बोझ वाला कभी उड़ नहीं सकता। लेकिन ट्रस्टी हैं तो निर्बन्धन हैं और उड़ती कला से सेकण्ड में स्वीट होम पहुंच सकते हैं।
कोई भी बंधन ापिंजड़ा है। ापिंजड़े की मैना अब निर्बन्धन उड़ता पंछी बन गयी। अगर कोई तन का बंधन भी है तो भी मन उड़ता पंछी है क्योंकि मनमनाभव होने से मन के बन्धन छूट जाते हैं। प्रवृत्ति को सम्भालने का भी बन्धन नहीं। ट्रस्टी होकर सम्भालने वाले सदा निर्बन्धन रहते हैं। गृहस्थी माना बोझ, बोझ वाला कभी उड़ नहीं सकता। लेकिन ट्रस्टी हैं तो निर्बन्धन हैं और उड़ती कला से सेकण्ड में स्वीट होम पहुंच सकते हैं।
स्लोगन: उदासी को अपनी दासी बना दो, उसे चेहरे पर आने न दो।
21-09-2014, Sunday
No comments:
Post a Comment