०२-०६-२०१३, रविवार
02-06-13 प्रात:मुरली ओम् शान्ति ”अव्यक्त-बापदादा” रिवाइज:05-01-77 मधुबन
त्यागी और तपस्वी बच्चे सदा पास हैं
02-06-13 प्रात:मुरली ओम् शान्ति ”अव्यक्त-बापदादा” रिवाइज:07-01-77 मधुबन
विश्व-कल्याणकारी कैसे बनें?
वरदान: सारथी बन न्यारी और प्यारी स्थिति का अनुभव कराने वाले नम्बरवन सिद्धि स्वरूप भव |
सारथी अर्थात् आत्म-अभिमानी। इसी विधि से ब्रह्मा बाप ने नम्बरवन की सिद्धि प्राप्त की। जैसे बाप देह को अधीन कर प्रवेश होते, सारथी बनते हैं, देह के अधीन नहीं बनते इसलिए न्यारे और प्यारे हैं। ऐसे ही आप ब्राह्मण आत्मायें भी बाप समान सारथी की स्थिति में रहो। चलते-फिरते यह चेक करो कि मैं सारथी अर्थात् शरीर को चलाने वाली न्यारी और प्यारी स्थिति में स्थित हूँ? इससे ही नम्बरवन सिद्धि स्वरूप बन जायेंगे।
स्लोगन: बाप के आज्ञाकारी होकर रहो तो गुप्त दुआयें समय पर मदद करती रहेंगी।
सारथी अर्थात् आत्म-अभिमानी। इसी विधि से ब्रह्मा बाप ने नम्बरवन की सिद्धि प्राप्त की। जैसे बाप देह को अधीन कर प्रवेश होते, सारथी बनते हैं, देह के अधीन नहीं बनते इसलिए न्यारे और प्यारे हैं। ऐसे ही आप ब्राह्मण आत्मायें भी बाप समान सारथी की स्थिति में रहो। चलते-फिरते यह चेक करो कि मैं सारथी अर्थात् शरीर को चलाने वाली न्यारी और प्यारी स्थिति में स्थित हूँ? इससे ही नम्बरवन सिद्धि स्वरूप बन जायेंगे।
स्लोगन: बाप के आज्ञाकारी होकर रहो तो गुप्त दुआयें समय पर मदद करती रहेंगी।
02-06-2013, Sunday
No comments:
Post a Comment