०१-१२-२०१३, रविवार
19-02-12 ओम् शान्ति ”अव्यक्त-बापदादा” रिवाइज: 16-11-95 मधुबन
”बापदादा की चाहना – डायमण्ड जुबली वर्ष को लगाव मुक्त वर्ष के रूप में मनाओ”
वरदानः सदा हजूर को हाजिर समझ साथ का अनुभव करने वाले कम्बाइन्ड रूपधारी भव बच्चे जब भी स्नेह से बाप को याद करते हैं तो समीप और साथ का अनुभव करते हैं। दिल से बाबा कहा और दिलाराम हाजिर। इसीलिए कहते हैं हजूर हाजिर है। हाजिरा हजूर है। स्नेह की विधि से हर स्थान पर हर एक के पास हजूर हाजिर हो जाते हैं, अनुभवी ही इस अनुभव को जानते हैं। गाया हुआ है – करनकरावनहार तो करनहार और करावनहार कम्बाइन्ड हो गया। ऐसे कम्बाइन्ड रूपधारी सदा साथ का अनुभव करते हैं। स्लोगन:- मन को सदा रूहानी मौज में रखना-यही जीवन जीने की कला है।
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