Sunday, June 15, 2014

15-06-2014's Murli

१५-०६-२०१४, रविवार

15-06-14 प्रातः मुरली ओम् शान्ति “अव्यक्त-बापदादा” रिवाइज: 24-01-78 मधुबन

“निरन्तर सेवाधारी”

वरदान: प्राप्ति स्वरूप बन क्यों, क्या के प्रश्नों से पार रहने वाले सदा प्रसन्नचित भव ! 
जो प्राप्ति स्वरूप सम्पन्न आत्मायें हैं उन्हें कभी भी किसी भी बात में प्रश्न नहीं होगा | उसके चेहरे और चलन में प्रसन्नता की पर्सनैलिटी दिखाई देगी, इसको ही सन्तुष्टता कहते हैं | प्रसन्नता अगर कम होती है तो उसका कारण है प्राप्ति कम और प्राप्ति कम का कारण है कोई न कोई इच्छा | बहुत सूक्ष्म इच्छायें अप्राप्ति के तरफ़ खींच लेती हैं, इसलिए अल्पकाल की इच्छाओं को छोड़ प्राप्ति स्वरूप बनो तो सदा प्रसन्नचित रहेंगे |



स्लोगन: परमात्म प्यार में लवलीन रहो तो माया की आकर्षण समाप्त हो जायेगी | 



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15-06-2014, Sunday

A Constant Server. 

Blessing: May you remain beyond the questions of “Why?” and “what?” and by becoming an embodiment of attainment remain constantly happy 
Souls who are embodiments of all attainment will not have any questions in any situation. The personality of happiness will be visible on their faces and in their behaviour. This is known as contentment. If there is little happiness, the reason for that is a lack of attainment and the reason for a lack of attainment is one or another desire. Having many subtle desires pulls you towards a lack of attainment. Therefore, let go of temporary desires and become an embodiment of attainment and you will always remain happy.
Slogan: Remain absorbed in God’s love and Maya’s attraction will finish.
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