Thursday, June 19, 2014

18-06-2014's Murli


१८-०६-२०१४, बुधवार


“मीठे बच्चे – बाप बागवान है, इस बागवान के पास तुम मालियों को बहुत अच्छे-अच्छे खुशबूदार फूल लाने हैं, ऐसा फूल नहीं लाओ जो मुरझाया हुआ हो”प्रश्न: बाप की नज़र किन बच्चों पर पड़ती है, किसके ऊपर नहीं पड़ती है ?
उत्तर: जो अच्छी खुशबू देने वाले फूल हैं, अनेक कांटों को फूल बनाने की सर्विस करते हैं, उन्हें देख-देख बाप खुश होता। उन पर ही बाप की नज़र जाती है और जिनकी वृत्ति गंदी है, आंखे धोखा देती हैं, उन पर बाप की नज़र भी नहीं पड़ती। बाप तो कहेंगे बच्चे फूल बन अनेकों को फूल बनाओ तब होशियार माली कहे जायेंगे।
धारणा के लिए मुख्य सार:१.अपने पंख आज़ाद करने की मेहनत करनी है, बंधनों से मुक्त हो होशियार माली बनना है। कांटो को फूल बनाने की सेवा करनी है।
२.अपने आपको देखना है कि मैं कितना खुशबूदार फूल बना हूँ? मेरी वृत्ति शुद्ध है? आंखे धोखा तो नहीं देती हैं? अपनी चाल-चलन का पोतामेल रख खामियां निकालनी है।
वरदान: निश्चयबुद्धि बन कमजोर संकल्पों की जाल को समाप्त करने वाले सफलता सम्पन्न भवअभी तक मैजारिटी बच्चे कमजोर संकल्पों को स्वयं ही इमर्ज करते हैं – सोचते हैं पता नहीं होगा या नहीं होगा, क्या होगा..यह कमजोर संकल्प ही दीवार बन जाते हैं और सफलता उस दीवार के अन्दर छिप जाती है। माया कमजोर संकल्पों की जाल बिछा देती है, उसी जाल में फंस जाते हैं इसलिए मैं निश्चयबुद्धि विजयी हूँ, सफलता मेरा जन्म सिद्ध अधिकार है – इस स्मृति से कमजोर संकल्पों को समाप्त करो।

स्लोगन: तीसरा ज्वालामुखी नेत्र खुला रहे तो माया शक्तिहीन बन जायेगी।


18-06-2014, Wednesday

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