Thursday, March 1, 2012

बाबा की मुरली मार्च २०१२



०१-०३--२०१२, गुरुवार
मीठे बच्चे,
बाप ही तुम्हारा teacher और गुरु है, उनका जिते जी बनकर माला में पीरो जाना है !
प्रश्नः तुम बच्चे किस निश्चय के आधार से पक्के ब्राह्मण बनते हो ?
उतरः तुम्हें पहला निश्चय हुआ की इन आंखो से देह सहित जो कुछ दीखाई देता है -यह सब पुराना है ! यह दुनिया बहुत छी-छी है, यह हमारे रहने लायक नहीं है ! हमको बाप से नई दुनिया का वर्सा मीलता है, इस निश्चय के आधार से तुम जीते जी इस पुरानी दुनिया और पुराने शरीर से मरकर बाप का बनते हो ! तुम्हे निश्चय है कि बाप द्वारा हि विश्व कि बादशाही मिलती है !
गीतः मरना तेरी गली में...
धारणा के लिए मुख्य सार
१.ज़ान देनेवाले दलाल से प्रीत न रख एक शिवबाबा को ही याद करना है ! वही जीयदान देनेवाला है !
२.इस बेहद नाटक को बुध्धि में रख अपार खुशी में रहना है ! देह का भान छोड़ अशरीरी बनने का अभ्यास करना है !
वरदानः ज्ञान, गुण और शक्तियों से सम्पन्न बन दान करने वाले महादानी भव !
स्लोगनः जो एक बाप से प्रभावित है उन पर किसी आत्मा का प्रभाव पड़ नहीं सकता !
०२-०३-२०१२, शुक्रवार
मीठे बच्चे,
अब बेहद की रात पुरी हो रही है, दिन आनेवाला है, वापिस घर चलना है इसलिए अब दर-दर भटकना बंद करो !
प्रश्नः किस practice के आधार पर तुम बच्चे service बहुत अच्छी कर सकते हो ?
उतरः यदि कम से कम ८ घंटे तक याद बनी रहे, यह practice हो जाए तो service बहुत अच्छी कर सकते क्योंकि याद से ही सारे विश्व में पवित्रता और शांति के vibration फैलते है ! याद से ही विकर्म विनाश होंगे और पद भी उंच मिलेगा इसलिए इस रुहानी यात्रा में कभी भी थकना नही है ! जिस्म का भान छोड़ देही-अभिमानी बनने का निरंतर अभ्यास करते रहना है !
गीतः रात के राही थक मत जाना...
धारणा के लिए मुख्य सार
१.पका निश्चय बुध्धि बन द्दढ़ संकल्प करना है कि बाप का हाथ कभी नहीं छोड़ेंगे ! बाप और घर को घड़ी-घड़ी याद करना है !
२.देही-अभिमानी बनने की महेनत करनी है ! ५ विकारो रुपी रावण की कैद से छुटने के लिए श्रीमत पर चलना है! मंदिर लायक बनने का पुरुषार्थ करना है !
वरदानः परवश आत्माओं को रहम के शीतल जल द्वारा वरदान देने वाले वरदानी मूर्त भव !
स्लोगनः परमात्म मिलन मेले की मौज में रहो तो माया के झमेले समाप्त हो जायेंगे !
०३-०३-२०१२, शनिवार
मीठे बच्चे,
मनुष्य मत पर तो तुम आधा कल्प चलते हो, अब मेरी श्रीमत पर चल पावन बनो तो दुनिया के मालिक बन जायेगें !
प्रश्नः बेहद का बाप बच्चों को कौन सी आर्शीवाद देते है, और वह आर्शीवाद कीन्हों को प्राप्त होती है ?
उतरः बाप आशीर्वाद देते बच्चे तुम २१ जन्म सदा सुखी रहेंगे, अमर रहेंगे ! तुम्हे कभी काल भी नहीं खायेगा, अकाले मृत्यु नहीं होगी ! कामधेनु माता तुम्हारी सब मनोकामना्यें पूर्ण कर देगी ! परंतु तुम्हे इस विष (विकारो) को छोड़ना पड़ेगा ! यह आशीर्वाद उन्हें ही प्राप्त होती है जो श्रीमत पर इस अंतिम जन्म में पवित्र बनते और बनाते है ! बाबा कहते बच्चें, दुनिया बदल रही है इसलिए पावन जरूर बनो !
गीतः ओम् नमो शिवाए....
धारणा के लिए मुख्य सार
१.ज्ञान और योग से अपने बंधनो को काटना है ! इस दुःखधाम को भूल शांतिधाम और सुखधाम को याद करना है !
२.कुछ सहन करना पड़े, प्राण भी त्यागने पड़े तो भी बाप ने जो पावन बनने का फरमान किया है, उस पर चलना ही है ! पतित कभी नहीं बनना है !
वरदानः सेवा का प्रत्यक्ष फल खाते everhealthy, wealthy और happy रहने वाले सदा खुशहाल भव !
स्लोगनः पवित्र आत्मा ही स्वच्छता और सत्यता का दर्पण है !
०४-०३-२०१२, रविवार
''अव्यक्त बापदादा'' रिवाइज:16-11-95 का शेष भाग मधुबन 
 स्वप्न मात्र भी लगाव मुक्त बनो
वरदानसेवा के बंधन द्वारा कर्म-बन्धनों को समापत करने वाले विश्व सेवाधारी भव !
प्रवृत्ति में रहते हुए कभी यह नहीं समझो कि हिसाब-किताब है, कर्मबन्धन है...लेकिन यह भी सेवा है। सेवा के बन्धन में बंधने से कर्मबन्धन खत्म हो जाता है। जब तक सेवा भाव नहीं होता तो कर्मबन्धन खींचता है। कर्मबन्धन होगा तो दुख की लहर आयेगी और सेवा का बन्धन होगा तो खुशी होगी। इसलिए कर्मबन्धन को सेवा के बंधन से समाप्त करो। विश्व सेवाधारी विश्व में जहाँ भी हैं विश्व सेवा अर्थ हैं। 
स्लोगन: अपने दैवी स्वरूप की स्मृति में रहो तो आप पर किसी की व्यर्थ नज़र नहीं जा सकती। 
०५-०३-२०१२, सोमवार
मीठे बच्चे,
जितना प्यार से यज्ञ की सेवा करो उतना कमाई है, सेवा करते-करते तुम बंधनमुकत हो जायेगें, कमाई जमा हो जायेगी !
प्रश्नः अपने को सदा खुशी में रखने की युक्ति कौनसी अपनानी है ?
उतरः अपने को service में busy रखो तो सदा खुशी रहेगी ! कमाई होती रहेगी ! Service के समय आराम का ख्याल नहीं आना चाहिए ! जितनी service मिले उतना खुश होना चाहिए ! Honest बन प्यार से service करो ! Service के साथ-साथ मीठा भी बनना है ! कोई भी अवगूण तुम बच्चों में नही होना चाहिए !
गीतः यह वक्त जा रहा है....
धारणा के लिए मुख्य सार
१.दिन में शरीर निर्वाह अर्थ कर्म और सुबह-शाम जीवन को हीरे जैसा बनाने की रूहानी सेवा जरूर करनी है ! सबको रावण की जंजीरो से छूडाना है !
२.माया कोई भी विकर्म न करा दे इसमें बहुत-बहुत खबरदार रहना है ! कर्मेन्द्रियों से कभी कोइ विकर्म नहीं करना है ! आसुरी अवगुण निकाल देने है !
वरदानः मर्यादा की लकीर के अन्दर सदा छत्रछाया की अनुभूति करने वाले मायाजीत भव !
स्लोगनः अशरीरी बनने का अभ्यास ही समाप्ती के समय को समीप लाने का आधार है !
०६-०३-२०१२, मंगळ्वार
मीठे बच्चे,
तुम बाप के बने हो इस दुनिया से मरने के लिए, एसी अवस्था पक्की करो जो अन्त में बाप के सिवाए कोई भी याद न आये !
प्रश्नः स्ब से तीखी आग कौनसी है जो सारी दुनिया को इस समय लगी हूई है, उसको बुझाने का तरीका सुनाओ 
उतरः सारी दुनिया में इस समय "काम" की आग लगी हुई है, यह आग सब से तीखी है ! इस आग को बुझाने वाली रुहानी mission एक ही है, इसके लिअ स्वयं को fire brigade बनाना है ! सिवाए योगबल के यह आग बुझ नहीं सकती ! काम विकार ही सब की सत्यानाश करता है इसलिए इस भूत को भगाने का पूरा पुरूषार्थ करो !
गीतः महफील में जल उठी शमा...
धारणा के लिए मुख्य सार
१.अब यह नाटक पूरा हुआ, हमें वापिस मुक्तिधाम में जाना है ! इस खुशी में रह पुरानी देह का अभिमान छोड़ देना है !
२.एक बाप की मत पर चलना है ! बाप को अपनी मत नहीं देनी है ! निश्चयबुध्धि बन बाप की जो श्रीमत मिली है, उस पर चलते रहना है !
वरदानः स्वदर्शन चक्र के title की स्मृति द्वारा परदर्शन मुक्त बनने वाले मायाजीत भव !
संगमयुग पर स्वयं बाप बच्चों को भिन्न-भिन्न titles देते है, उन्ही titles को स्मृति में रखो तो श्रेष्ट स्थिति में सहज ही स्थित हो जायेगें ! सिर्फ बुध्दि से वर्णन नहीं करो लेकीन seat पर set हो जाओ, जैसा title वैसी स्थिति हो ! यदि स्वदर्शन चक्रधारी का title स्मृति में रहे तो परदर्शन चल नहीं सकता ! स्वदर्शन चक्रधारी अर्थात् मायाजीत ! माया उसके आगे आने की हिम्मत भी नहीं रख सकती ! स्वदर्शन चक्र के आगे कोई भी ठहर नहीं सकता !
स्लोगनः वानप्रस्थ स्थिति का अनुभव करो और कराओ तो बचपन के खेल समाप्त हो जायेगें !
०७-०३-२०१२, बुधवार       
मीठे बच्चे,
ज्ञान मार्ग में तुम्हारे ख्यालात बहुत शुध्ध होने चाहिए ! स्च्ची कमाई में झूठ बोला, कुछ उल्टा किया तो बहुत घाटा पड़ जायेगा !
प्रश्नः जो तकदीरवान बच्चे ऊंच पद पाने वाले है, उन की निशानी क्या होगी ?
ऊतरः उनसे कोई भी खराब काम नहीं होगा ! यज्ञ की सेवा मॅ हड्डी-हड्डी लगायेगें ! उनमें कोई भी लोभ आदि नहीं होगा ! वह बहूत सुखदाई होगें ! मुख से सदैव ज्ञान रत्न निकालेगें ! बहुत मीठा होगें ! वह इस पुरानी दुनिया को जैसे देखते हुए भी देखते नहीं ! उनके अंदर यह ख्याल नहीं आयेगा जो तकदीर में होगा देखा जायेगा ! बाबा कहते ऐसे बच्चे कोई काम के नहीं ! तुम्हे तो बहुत अच्छा पुरुषार्थ करना है !
गीतः हमारे तीर्थ न्यारे है....
धारणा के लिए मुख्य सार
१.मीठा बन, माँ बाप का show करना है ! कडवापन जरा भी है तो उसे नीकाल देना है ! बाप जैसा मीठा lovely जरूर बनना है !
२.कोई भी काम श्रीमत के बिना नहीं करना है ! श्रीमत में ही सच्ची कमाई है !
वरदानः प्रवृत्ति में रहते लौकिकता से न्यारे रह प्रभू का प्यार प्राप्त करने वाले लगावमुक्त भव !
स्लोगनः सदा खजानो से संपन्न और संतुष्ठ रहो तो परिस्थितियां आयेगीं और बदल जायेगीं !
०८-०३-२०१२, गुरुवार
 मीठे बच्चे,
तुम्हें अपनी तकदीर हीरे जैसी बनानी है, पुरुषार्थ कर बाप से स्वर्ग का पुरा-पुरा वर्सा लेना है !
प्रश्नः कौन सा राज़ बुध्धि में अगर युक्तियुक्त बैठ जाए तो अपार खुशी रहेगी ?
उतरः Drama का ! इस drama में हर actor को अविनाशी part मिला हुआ है, जो बजाना ही है ! कोई भी part     घिसता वा मिटता नहीं ! बनी बनाई बन रहि... इस में हेर-फेर भी नहीं हो सकती ! कल्प पुरा होगा तो फीर से वही part second by second repeat होगा ! यह गहुत गुह्य राज़ है जो युक्तियुक्त बुध्धि में बैठे तो खुशी रहे ! नहीं तो मूँझते है ! बाबा कहते है बच्चे मूँझो नहीं ! बाप में निश्चय रख पूरा वर्सा लेने का पुरुषार्थ करो !
गीतः तुम्हे पाके हमने....
धारणा के लिए मुख्य सार
१.पुरानी दुनिया को देख लट्टू नहीं बनना है ! अपनी bag baggage transfer कर देनी है ! अपना स्ब कुछ insure कर देना है ! 
२.कोई भी वस्तु में अगर ममत्व नहीं है तो फिर कौड़ी से हीरे जैसा बनने कि सेवा करनी है ! दान करने से हि ज्ञान धन बढ़ेगा !   
वरदानः Powefull break द्वारा second में व्यक्त भाव से परे होने वाले अव्यक्त फरिस्ता भव !
स्लोगनः खुशी की खुराक खाते रहो तो मन और बुध्धि शक्तिशाली बन जायेगी !
०९-०३-२०१२, शुक्रवार
मीठे बच्चे,
तुम्हें निश्चय है कि हम संगम पर भविष्य की कमाई के लिए पढ़ते हैं, बाप हमें पढ़ाकर के 21 जन्मों का वर्सा देते हैं !
प्रश्न: अपने आप पर कृपा वा आशीर्वाद करने की विधि क्या है?
उत्तर: अपने आप पर कृपा वा आशीर्वाद करने के लिए बाप की पढ़ाई रोज़ पढ़ते रहो। कभी भी संगदोष में आकर पढ़ाई में गफलत नहीं करो। जो सदा श्रीमत पर चलते हैं वह अपने आप पर कृपा करते हैं, उन्हें बाप की भी आशीर्वाद मिलती रहती है।
गीत: मैं एक नन्हा सा बच्चा हूँ….. 
धारणा के लिए मुख्य सार:
१. कर्मबन्धन से मुक्त हो रूहानी पढ़ाई रोज़ पढ़नी है। जहाँ तक जीना है, पढ़ाई जरूर पढ़नी है।
२. हद के सम्बन्धों वा देह से मोह का त्याग कर अपने शान्तिधाम और सुखधाम को याद करना है। संगदोष से अपनी सम्भाल करनी है।             
वरदान: निगेटिव को पॉजिटिव में परिवर्तन करने वाले स्व परिवर्तक सो विश्व परिवर्तक भव !
स्लोगन: ड्रामा के ज्ञान को स्मृति में रखने वाले ही नथिंगन्यु की विधि से विजयी बन सकते हैं।
१०-०३-२०१२, शनिवार
मीठे बच्चे,
बाबा आये है तुम्हे सच्चा-सच्चा वैष्णव बनाने, तुम अभी transfer हो कले से गोरे बन रहे हो !
प्रश्नः सर्व की कामनायें पूर्ण करने वाले आप बच्चों का title क्या है ? तुम्हे कौनसी कामना पूर्ण करनी है ?
उतरः तुम सर्व की कामनायें पूर्ण करने वाले जगत अम्बा के बच्चे कामधेनु हो ! सभी की कामना है-हमें मुक्ति जीवनमुक्ति मिले ! तो तुम जगत अम्बा, जगत पिता के बच्चे सबको मुक्ति-जीवनमुक्ति का रास्ता बताते रहो, यहि तुम्हारा धन्धा है !
गीतः अम्बे तू है जगदम्बे.....
धारणा के लिए मुख्य सार
१.पूज्य बनने का पूरा पुरुषार्थ करना है ! अपनी पूजा नहीं करानी है ! आत्मा और शरीर दोनों पवित्र होंगे तब ही पूजनीय लायक बनेगें !
२.होंशियारी से समझदार बन कल्याण की भावना रख सेवा करनी है ! दैवीगुणों वाला सच्चा वैषण्व बनना है !
वरदानः ब्राह्मण जन्म की विषेशता को natural nature बनाने वाले सहज पुरुषार्थी भव !
स्लोगनः Double light रहना है तो विघ्न-विनाशक बनो !
११-०३-२०१२, रविवार
अव्यकत बापदादा revised ३०-०५-१९७४
रुहानी सेवामें बाप के सदा सहयोगी और everready बनो !
अव्यकत बापदादा revised २१-०६-१९७४
महान् पद की booking के लिए महीन रुप से checking आवश्यक !
वरदानः Light स्वरुप की स्मृति द्वारा व्यर्थ के बोझ से हल्का रहने वाले तीव्र पुरुषार्थी भव !
स्लोगनः बेफिक्र बादशाह बनना है तो तन-मन-धन को प्रभू समर्पित कर दो !
१२-०३-२०१२, सोमवार
मीठे बच्चे,
रात को जाग कर कमाई करो, अमृतवेले उठने की आदत डालो !
प्रश्नः ज्ञान में आते हीजो नशा चढ़ता है, उस नशे को स्थाई रखने की विधि क्या है ?
उतरः जब ज्ञान में नये-नये आते है तो बहुत नशा चढ़ता है ! उसी समय अपने आपसे अनेक प्रतिज्ञायें भी करते है ! बाबा कहते वह प्रतिज्ञायें diary में note कर लो फिर उसे revise करते रहो तो नशा स्थाई रहेगा ! नहीं तो माया के तूफानों में आने से नशा उड़ जायेगा ! अगर कोई भूल चलते-चलते हो जाये तो फौरन सुनाकर हल्के हो जाओ फिर दुबारा वह भूल न हो, नहीं तो वृध्धि होती रहेगी !
गीतः दुःखियों पर रहम करो माँ बाप हमारे......
धारणा के लिए मुख्य सार
१.इस beggary जीवन में पूरा-पूरा देहि-अभिमानी बनना है ! किसी भी चीज़ का जास्ती लोभ नहीं रखना है, जो मिले सो अच्छा ! मांगने से मरना भला !
२.अपना अहंकार न रख माताओं को मर्तबा देना है ! बाप समान निराकारी-निरहंकारी बनना है ! ज्ञानधन का दान करना है !
वरदानः रहम की भावना को emerge कर दुःख दर्द की दुनिया को परिवर्तन करने वाले master merciful भव !
स्लोगनः ज्ञान और योग के दोनों पंख मजबूत हो तब उड़ती कला का अनुभव कर सकेगें ! 
१४-०३-२०१२, मंगळ्वार
मीठे बच्चे,
बाप से तुम्हे सुमत मिली है,तुम्हारी बुध्धि का ताला खुला है इसलिए तुम्हारा कर्तव्य है सबको अपनी बुध्धि का सहयोग देना !
प्रश्नः संगमयुग पर तुम बच्चों के अंदर कौन सी आश उत्पन होती जो बाप ही पूरी करते है ?
उतरः संगम परतुम बच्चों में स्वर्ग जाने की आश उत्पन्न होती है ! पहले कभी सोचा भी नहीं था कि हम कोई स्वर्ग में जायेगें, अभी यह नई आश उत्पन्न हुई है ! यह आश एक बाप ही पूरी करता, यह आश पूरी होने के बाद फिर कोई आश नहीं रहेगी ! गायन भी है अप्राप्त नहीं है कोई वस्तु देवता के खजाने में !
गीतः आखिर वह दिन आया आज......
धारणा के लिए मुख्य सार
१.कदम-कदम पर बड़ी सावधानी से चलना है ! श्रीमत पर मूँजना नहीं है ! कभी कुल को कंलक नहीं लगाना है!
२.बाप के पास जाने के लिए पुराने सब हिसाब-किताब चुक्तू करने है ! अशरीरी बनने का पूरा अभ्यास करना है!
वरदानः बाप की छ्त्रछाया के नीचे रह माया की छाया से बचने वाले सदा खुश और बेफिक्र भव !
स्लोगनः जिनका मुरली से प्यार है वही master मुरलीधर है !
१५-०३-२०१२, बुधवार
मीठे बच्चे,
सिमर-सिमर सुख पाओ, बाप का सिमरण करो तो तन के कलह-क्लेष मिट जायेगें, तुम निरोगी बन जायेगें !
प्रश्नः इस समय तुम बच्चे युध्धस्थल पर हो, जीत वा हार का आधार क्या है ?
उतरः श्रीमत पर चलने से जीत, अपनी मत वा दुसरों की मत पर चलने से हार ! एक तरफ है रावण मत वाले, दूसरी तरफ है राम मत वाले ! बाप कहते है बच्चे रावण ने तुम्हें बहुत सताया है ! अब तुम मेरे से बुध्धियोग लगाओ तो विश्व के मालिक बन जायेगें ! अगर कारण अकारण अपनी मत पर चले या खिटपिट में आये, पढ़ाई छोड़ी तो माया मुँह फेर देगी, हार खा लेगें, इसलिए बहुत-बहुत खबरदार रहना है !
गीतः तेरे संसार की हालत......
धारणा के लिए मुख्य सार
१.देह-अभिमान को छोड़ बाबा को अंदर ही अंदर ऐसा याद करना है जो अन्त मति सो गति हो जाए ! बुध्धि को याद द्वारा golden aged बनाना है !
२.कभी भी मनमत या मतभेद में आकर पढ़ाई नही छोड़नी है ! अपना मुख स्वर्ग की तरफ रखना है ! नर्क को भूल जाना है !
वरदानः व्यर्थ की अपवित्रता को समाप्त कर संपूर्ण स्वच्छ बनने वाले holy हंस भव !
स्लोगनः नाँव और खिवैया मजबूत हो तो तूफान भी तोहफा बन जाते है !
१५-०३-२०१२, गुरुवार
मीठे बच्चे,
एक बाप से सच्चा-सच्चा love रखो, उनकी मत पर चलो तो बाकी सब मित्र संबधियों आदि से ममत्व टूट जायेगा !
प्रश्नः बाप के सिवाए कौन से शब्द कोई भी मनुष्य बोल नहीं सकता ?
उतरः मै तुम आत्माओं का बाप तुम्हे पढ़ाने आया हुं, मै तुम्हे अपने साथ वापिस ले जाउंगा ! एसे शब्द बोलने की ताकत बाप के सिवाए किसी भी मनुष्य में नहीं ! तुम्हें निश्चय है- यह नया ज्ञान नई विश्व क्र लिए है, जो स्वयं रुहानी बाप हमें पढ़ाते है, हम Godly student है !
गीतः भोलेनाथ से निराला....
धारणा के लिए मुख्य सार
१.किसी भी संबध मे मोह नहीं लटकाना है ! अंदर कीसच्चाई सफाई से निर्बधंन बनना है ! विकर्मो का हिसाब चुक्तू करना है !
२.मीठी जबान और युक्तियुक्त बोल से सेवा करनी है ! पुरूषार्थ कर अच्छे number से pass होना है !
वरदानः ज्ञान और योग के बल द्वारा माया की शक्ति पर विज्य प्राप्त करने वाले मायाजीत, जगजित भव !
स्लोगनः कर्म करते कर्म के बंधनो से मुक्त रहना हि फरिश्ता बनना है !
१६-०३-२०१२, शुक्रवार
मीठे बच्चे,
इस पुरानी देह का भान भूलो, इससे ममत्व मिटाओ तो तुम्हे first class शरीर मिल जायेगा, यह शरीर तो खत्म हुआ ही पडा है !
प्रश्नः इस drama का अटल नियम कौन सा है, जिस मनुष्य नहीं जानते ?
उतरः जब ज्ञान है तो भक्ति नहीं और जब भक्ति है तो ज्ञान नहीं ! जब पावन दुनिया है तो कोई भी पतित नहीं और जब पतित दुनिया है तो कोई भी पावन नही.. यह है drama का अटल नियम, जिसको मनुष्य नहीं जानते है !
प्रश्नः सच्ची काशी कलवट खाना किसे कहते है ?
उतरः अन्त में किसी की भी याद न आये ! एक बाप की याद रहे, यह सच्ची काशी कलवट खाना ! काशी कलवट खाना अर्थात् pass with honour हो जाना जिसमें जरा भी सजा न खानी पडे !
गीतः दर पर आये है कसम ले...
धारणा के लिए मुख्य सार
१.मन्सा-वाचा-कर्मणा किसी को भी दुःख नहीं देना है ! किसी की बात दील में नहीं रखनी है ! बाप समान प्यारका सागर बनना है !
२.एकान्त मै बैठ विचार सागर मंथन करना है ! मंथन कर फिर प्रेम से समझाना है ! बाबा की service में मददगार बनना है !
वरदानः संगमयुग के महत्व को जान स्नेह की अनुभूतियों में समाने वाले सम्पूर्ण ज्ञानी योगी भव !
स्लोगनः जो व्यर्थ की feeling से परे रहता है वही मायाजीत बनता है !
१७-०३-२०१२, शनिवार
मीठे बच्चे,
भगवान, जिसे सारी दुनिया याद करती है, वह तुम्हारे सम्मुख बैठा है, तुम एसे बाप से पुरा वर्सा ले लो, भूलो मत !
प्रश्नः बाप की श्रीमत पर यथार्थ चलने की शक्ति किन बच्चों में रहती है ?
उतरः जो अपना सच्चा-सच्चा पोतामेल बाप को सुनाकर हर कदम पर बाप से राय लेते है ! बाप से राय ली तो उस पर चलने की शक्ति भी मिल जाती है ! बाप बच्चों को श्रीमत देते है-बच्चे उस कमाई के पीछे यह कमाई miss नहीं करो क्योकिं यह पाई-पैसे की सारी कमाई खत्म होने वाली है ! हर बात में श्रीमत लेते बहुत खबरदार रहो, सम्भलकर चलना है ! अपनी मत नहीं चलानी है !
गीतः छोड भी दे आकाश सिंहासन...
धारणा के लिए मुख्य सार
१.बाप समान निरंहकारी, नम्रचित बनना है ! अपनी सेवा अपने हाथ से करनी है ! किसी भी बात में अहंकार नहीं दिखाना है !
२.service के लिए सदा तैयार रहना है ! service के लिए स्वयं को आपेही offer करना है ! कोड़ी जैसे मनुष्योंको हीरे जैसा बनाने की सेवा करनी है !
वरदानः अव्यक्त पालना द्वारा शक्तिशाली बन last सो fast जाने वाले first No. के अधिकारी भव !
अव्यक्त part में आने वाली आत्माओं को पुरुषार्थ में तीव्रगति का भाग्य सहज मिला हुआ है ! यह अव्यक्त पालना सहज ही शक्तिशाली बनाने वाली है इसलिए जो जितना आगे बढ़ना चाहे बढ़ सकते है ! इस समय last सो fast और fast सो first का वरदान प्राप्त है ! तो इस वरदान को कार्य में लगाओं अर्थात् समय प्रमाण वरदान को स्वरुप में लाओ ! जो मिला है उसे use करो तो first No. में आने का अधिकार प्राप्त हो जायेगा !
स्लोगनः स्वमान की seat पर set रहो तो सर्व का मान स्वतः प्राप्त होगा !
१८-०३-२०१२, रविवार
अव्यक्त बापदादा revise २५-११-१९९५  
परमत, परचिंतन और परदर्शन से मुक्त बनो और पर-उपकार करो !
वरदानः संकल्प रुपी बीज द्वारा वाणी और कर्म में सिध्धि प्राप्त करने वाले सिध्धि स्वरुप भव !
बुध्धि में जो संकल्प आते है, वह संकल्प है बीज ! वाचा और कर्मणा बीज का विस्तार है ! अगर संकल्प अर्थात् बीज को त्रिकालदर्शी स्थिति में स्थित होकर चेक करो, शक्तिशाली बनाओ तो वाणी और कर्म में स्वतः ही सहज सफलता है ही ! यदि बीज शक्तिशाली नहीं होता तो वाणी और कर्म में भी सिध्धि की शक्ति नहीं रहती!
जरूर चैतन्य में सिध्धि स्वरुप बने हो तब तो जड़ चित्रो द्वारा भी और आत्मायें सिध्धि प्राप्त करती है !
स्लोगनः योग अग्नि से यर्थ के किचड़े को जला दो तो बुध्धि स्वच्छ बन जायेगी !
१९-०३-२०१२, सोमवार
मीठे बच्चे,
बेहद के बाप से सदा सुख का वर्सा लेना है तो जो भी खामीयां है उन्हें निकाल दो, पढ़ाई अच्छी रिति पढ़ो और पढ़ाओ !
प्रश्नः बाप समान service के निमित बनने के लिए कौन सा मुख्य गुण चाहीए ?
उतरः सहनशीलता का देह के उपर too much मोह नहीं रखना है ! योगबल से काम लेना है ! जब योगबल से सब बीमारीयां खत्म होंगी तब बाप समान service के निमित बन सकेगें !
प्रश्नः कौन सा महापाप होने से बुध्धि का ताला बंध हो जाता है ?
उतरः यदि बाप का बनकर बाप की निंदा कराते है, आज्ञाकारी, वफादार बनने के बजाए किसी भी भूत के वशीभूत होकर डिससर्विस करते है, कालापन नहीं छोड़ते तो इस महापाप से बुध्धि को ताला लग जाता है !
गीतः कौन आया मेरे मन के द्वारे....
धारणा के लिए मुख्य सार
१.कर्मेन्द्रियों से कोई भी विकर्म नहीं करना है ! एसी कोई चलन नहीं चलनी है जिससे अनेकों की बद-दुआयें निकलें ! अपने भविष्य का ख्याल रख पुण्य कर्म करने हैं !         
२.अन्दर जो भी कालापन है, देह-अभिमान के कारण भूतो की प्रवेशता है, उन्हें निकाल देना है ! ज्ञान से अपना श्रृंगार कर सपूत बच्चा बनना है !
वरदानः दिव्य बुध्धि द्वारा त्रिकालदर्शी स्थिति का अनुभव करने वाले सफलतामूर्त भव !
ब्राह्मण जन्म की वीशेष सौगात दिव्य बुध्धि है ! इस दिव्य बुध्धि द्वारा बाप को, अपने आपको और तीनों कालों को स्पष्ट जान सकते हो ! दिव्य बुध्धि से ही याद द्वारा सर्व शक्तियों को धारण कर सकते हो ! दिव्य बुध्धि त्रिकालदर्शी स्थिति का अनुभव कराती है, उनके सामने तीनों ही काल स्पष्ट होते है ! कहा भी जाता है जो सोचो, जो बोलो, आगे पीछे का सोच समझकर करो ! परिणाम को जानकर कर्म करने से सफलता अवश्य होती है !
स्लोगनः यथार्थ निर्णय देना है तो रुहानी फ्खुर(नशा) द्वारा बेफिक्र स्थिति में स्थित रहो !
२०-०३-२०१२, मंगळ्वार
मीठे बच्चे,
यह तुम्हारा अन्तिम जन्म है इसलिए विकारो का सन्यास करो, इस अन्तिम जन्म में रावण की जंजीरो से अपने को छुडाओ !
प्रश्नः बाप का सहारा किन बच्चों को मिलता है ? बाप किन बच्चों से सदा राजी रहता है ?
उतरः बाप का सहारा उन्हे मिलता- जो सच्ची दिल वाले है ! कहा जाता सच्ची दिल पर साहेब राज़ी ! जो बाप के हर direction को अमल में लाते है, बाबा उनसे राज़ी रहता है ! बाप का direction है याद में रह पवित्र बन फिर service करो, किसको रास्ता बताओ ! शूद्रों के संग से अपनी संभाल करो ! कर्मेन्द्रियों से कभी बुरा काम नहीं करना ! जो इन सब बातों की धारणा करते बाप उनसे राज़ी रहता !
गीतः मुझको सहारा देने वाले....
धारणा के लिए मुख्य सार
१.इस सड़ी हुई दुनिया और सड़े हुए शरीर से ममत्व निकाल एक बाप को और घर को याद करना है ! शुद्रों के संग से अपनी सम्भाल करनी है !
२.विकर्माजीत बनने के लिए अमृतवेले उठ याद में बैठना है ! इस शरीर से detach होने का अभ्यास करना है !
वरदानः सुख स्वरुप बन सबको सुख देनेवाले master सुखदाता भव !
संगमयुगी ब्राह्मण अर्थात् दुःख का नाम-निशान नहीं क्योंकि सुखदाता के बच्चे master सुखदाता हो ! जो master सुखदाता, सुख स्वरुप है वह स्वयं दुःख में कैसे आ सकते है ? बुध्धि से दूःखधाम का किनारा कर लिया ! वे स्वयं तो सुख स्वरुप रहते ही हैं लेकिन औरो को भी सदा सुख देते है ! जैसे बाप हर आत्मा को सदा सुख देते है ऍसे जो बाप का कार्य वो बच्चो का कार्य ! कोई दुःख दे रहा है तो भी आप दुःख नही दे सकते, आपका स्लोगन है "ना दुःख दो, ना दुःख लो !".
स्लोगनः हर्षित और गम्भीर बनने के balance को धारण कर एकरस स्थिति में स्थित रहो !
२१-०३-२०१२, बुधवार
मीठे बच्चे,
ज्ञान के तीसरे नेत्र से बाप को देखो, बाप को ही याद करो, इस शरीर को देखते हुए भी नहीं देखो !
प्रश्नः इस पुरानी दुनिया में रह्ते तुम बच्चों को कौन सा direction मिला हुआ है ?
उतरः मीठे बच्चे- यह पुरानी दुनिया, जिसमें तुम रहते हो यह कब्रिस्तान होनी है, इस रावण का राज्य है, इनसे दिल नहीं लगाओ ! यहाँ रह्ते बुध्धि की आसक्ति नई दुनिया में जानी चाहीए ! गृहस्थ व्यवहार में भल रहो पर कमल फूल समान रहो, सब से तोड़ निभाओ ! बुध्धियोग एक बाप से लगा रहे ! ज्ञान योग में पक्के बनो ! किसी भी हालत में खुशी का पारा कम न हो ! धीरज रख कर्मबंधन को काटते जाओ !
गीतः धिरज धर मनवा....
धारणा के लिए मुख्य सार
१.ईश्वरीय salvation army बन विश्व के डूबे हुए बेडे को पार लगाना है ! मनूष्यों को कोड़ी तुल्य से हीरे जैसा बनाना है ! ज्ञान धन दान करने में कन्जुस नही बनना है !
२.अपनी दिल बाप और नई दुनिया से लगानी है ! इस पुरानी देह से बेहद का वैरागी बनना है !
वरदानः बेहद के अधिकार की स्मृति द्वारा अपार खुशी में रहने वाले सदा निश्चिंत भव !
आजकल दुनिया में किसी को रिवाजी अधिकार भी मिलता है तो कीतनी महेनत करके अधिकार लेते है, आपको बीना महेनत के अधिकार मिल गया ! बच्चा बनना अर्थात् अधिकार लेना ! मेरा माना और अधिकार मिला ! तो वाह मै श्रेष्ट अधिकारी आत्मा ! इसी बेहद के अधिकार की खुशी में रहो ! यह अविनाशी अधिकार निश्चिंत होता है वहाँ निश्चिन्त रहते हो !
स्लोगनः सर्व की दुआओं से तीव्रगति की उड़ान भरो तो समस्याओं के पहाड़ को सहज ही cross कर लेगें !
२२-०३-२०१२, गुरुवार
मीठे बच्चे,
तुम्हे ऍसा बाप मिला है जो बाप, teacher और सतगुरु तीनों ही एक है इसलिए अब भटकना छोड़ सच्ची-सच्ची कमाई में लग जाओ !
प्रश्नः नई दुनिया में राज्य करने के लायक कौन बनते है ?
उतरः जो अभी सर्व शक्तिमान बाप से सर्वशक्तियाँ प्राप्त करते है ! तुम बच्चे रुहानी warriors हो बाप की मत पर अपनी राजधानी स्थापन कर रहे हो ! बाप तुम्हे श्रीमत देते है की योगबल से तुम विज्य प्राप्त करो !
प्रश्नः किन बच्चों के हर कदम में कमाई जमा होती है ?
उतरः जो हर कर्म श्रीमत पर करते है उनके हर कदम मे कमाई ही कमाई है ! याद में रहना भी कमाई, service करना भी कमाई, यज्ञ सेवा भी कमाई !
गीतः ओम् नमः शिवाए.....
धारणा के लिए मुख्य सार
१.हर कर्म श्रीमत पर करना है ! याद में रहकर यज्ञ सेवा कर अपनी कमाई जमा करनी है !
२.भटकना छोड़ भविष्य नई दुनिया के लिए पढ़ाई पढ़नी है ! ज्ञान को धारण कर ज्ञान-ज्ञानेश्वर, ज्ञान-ज्ञानेश्वरी बनना है !
वरदानः अपनी जीवन को हीरे समान valuable बनाने वाले स्मृति और विस्मृति के चक्कर से मुक्त भव !
यह संगमयुग स्मृति का युग है और कलियुग विस्मृति का युग है ! अगर अपने श्रेष्ट part, श्रेष्ट भाग्य की सदा स्मृति है तो हीरे समान valuable और अगर विस्मृति है तो पथ्थर हो ! यह स्मृति और विस्मृति का खेल है ! संगमयुग के रहेवासी कभी कलियुग में चक्कर लगाने जा नहीं सकते ! अगर थोड़ा भी बुध्धि गई तो चक्कर में फंस जायेगें क्योंकि कलियुग में बहुत रोनक है लेकिन वह रोनक धोखा देने वाली है !
स्लोगनः अपनी कर्मेन्द्रियों को law और order प्रमाण चलाने वाले ही सच्चे राजयोगी है !
२३-०३-२०१२, शुक्रवार
मीठे बच्चे,
तुम ब्राह्मण हो यज्ञ रक्षक, यह यज्ञ ही तुम्हें मन-इच्छित फल देनेवाला है !
प्रश्नः किन दो बातों के आधार से २१ जन्मों के लिए सब दुःखो से छुट सकते हो ?
उतरः प्यार से यज्ञ की सेवा करो और बाप को याद करो तो २१ जन्म कभी दुःखी नहीं होगें ! दुःख के आंसू नहीं बहायेगें ! तुम बच्चों को बाप की श्रीमत है-बच्चे बाप के सिवाए कोई भी मित्र संबधी, दोस्त आदि को याद न करो ! बन्धनमुक्त बन प्यार से यज्ञ की सम्भाल करो तो मन-इच्छित फल मिलेगा !
गीतः बचपन के दिन भूला न देना.....
धारणा के लिए मुख्य सार
१.देह सहित सबसे मोह निकाल, बाप और अविनाशी ज्ञान रत्नों से मोह रखना है ! ज्ञान रत्न दान करते रहना है!
२.पढ़ाई और service पर पूरा ध्यान देना है, बाप समान मीठा बनना है ! संसार समाचार न सुनना है, न दुसरों को सुनाकर मुख कडुवा करना है !
वरदानः शान्ति की शक्ति द्वारा असम्भव को सम्भव करने वाले योगी तू आत्मा भव !
शान्ति की शक्ति सर्व श्रेष्ट शक्ति है ! और सभी शक्तियां इसी एक शक्ति से निकली है ! science की शक्ति भी इसी शान्ति की शक्ति से निकली है ! शान्ति की शक्ति द्वारा असम्भव को भी सम्भव कर सकते हो ! जिसे दुनिया वाले असम्भव कहते वह आप योगी तू आत्मा बच्चों क्र लिए सहज सम्भव है ! वह कहेगें परमात्मा तो बहुत उंचा हजारों सूर्यो से तेजोमय है, लेकिन आप अपने अनुभव से कहते-हमने तो उसे पा लिया, शान्ति की शक्ति से स्नेह के सागर में समा गये !
स्लोगनः निमित्त बन निर्माण का कार्य करने वाले ही सच्चे सेवाधारी है !
२४-०३-२०१२, शनिवार
मीठे बच्चे,
तुम्हें भक्ति की रोचक बातों के बजाए रुहानी बातें सबको सुनानी है, रावण राज्य से मुक्त करने की सेवा करनी है !
प्रश्नः सेवा में सफलता प्राप्त करने के लिए मुख्य कौन सा गुण चाहिए ?
उतरः निरहंकारिता का गुण ! महावीर के लिए भी दिखाते है जहाँ भी सतसंग होता था, वहाँ जुत्तियो मे जाकर बैठता था क्योंकि उसमें देह-अभिमान नहीं था, परंतु इसमें बहादुरी चाहिए ! तुम कोई भी ड्रेस पहनकर उन सतसंगो मे जाकर सुन सकते हो ! गुप्त वेष में जाकर उनकी सेवा करनी चाहिए !
गीतः ओम् नमो शिवाए...
धारणा के लिए मुख्य सार
१.सभी भक्ति रुपी सीताओं को रावण की कैद से छुड़ाना है ! सेकण्ड में मुक्ति जीवनमुक्ति की राह दिखानी है !
२.बाप और वर्से को याद करना है ! देह-अभिमान छोड़ महावीर बन सेवा करनी है ! विचार सागर मंथन कर सेवा कि नई नई युक्तियां निकालनी है !
वरदानः स्वमान में स्थित रह देहभान को समाप्त करनेवाले अकल तख्तनशीन, अकालमूर्त भव !
संगमयुग पर बाप द्वारा अनेक स्वमान प्राप्त है ! रोज़ एक नया स्वमान स्मृति में रखो तो स्वमान के आगे देहभान ऍसे भाग जायेगा जैसे रोशनी के आगे अंधकार भाग जाता है ! न समय लगता, न महेनत लगती ! आपके पास डायरेकट परमात्म लाइट का कनेकशन है सिर्फ स्मृति का स्वीच ओन करो तो इतनी लाइट आ जायेगी जो स्वयं तो लाइट में होगें लिकिन औरो के लिए भी लाइट हाउस हो जायेगें ! जो ऍसे स्वमान में रहते है, उन्हे ही अकाल तख्तनशीन, अकालमूर्त कहा जाता है !
स्लोगनः अपनी स्थिति ऊंची बनाओ तो परिस्थितियां छोटी हो जायेंगी !
२५-०३-२०१२, रविवार

२६-०३-२०१२, सोमवार
मीठे बच्चे,
माया की फागी बड़ी जबरदस्त है, उससे खबरदार रहना है, फागी(बादल) में कभी भी मूंझना नहीं !
प्रश्नः महावीर बच्चों ने कौन सा कर्तव्य किया है जिसका यादगार शास्त्रो में है ?
उतरः महावीर बच्चों ने मूर्छित को संजीवनी बूटी देकर सुरजीत कीया है, इसका यादगार शास्त्रों में भी दिखाते हैं ! तुम बच्चों को तरस पड़्ना चाहीए ! जो सर्विस करते-करते बाप से वर्सा लेते-लेते किसी भी कारण से बाप  का हाथ छोड़कर चले गये, उन्हें पत्र लिखकर सुरजीत करो ! पत्र लिखो कि तुम्हे क्या हुआ जो तुमने पढ़ाई छोड़ दी... बदनसीब क्यों बने ! गिरते हुए को बचाना चाहीए !
गीतः नयन हीन को राह दिखाओ...
धारणा के लिए मुख्य सार
१.मोह की सब रगें तोड़ इस पुरानी देह और दुनिया से ममत्व निकाल सर्विस में लग जाना है ! बाप और वर्से को याद कर कमाई जमा करनी है !
२.अच्छा तैरनेवाला बन सबको पार लगाने की सेवा करनी है ! श्रीमत्त पर चलना है, बुध्धि किचड़े में नहीं लगानी है !
वरदानः योग की करेन्ट जे वाइब्रेशन द्वारा किले को मजबूत करने वाले यज्ञ रक्षक भव !
जैसे ब्राह्मण फेमीलि बढ़ाने की प्लानींग करते हो, ऍसे अब यह भी प्लान करो जो कोई भी आत्मा ब्राह्मण परिवार से किनारे नहीं हो जाये ! किले को ऐसा मजबूत बनाओ जो कोई जा ही नहीं सके ! जैसे चारों और करेन्ट की तारें लगा देते हैं तो आप भी योग के वाइब्रेशन द्वारा करेन्ट की तारें लगा दो ! जब इस यज्ञ के किले को अपने योग के पावरफुल वाइब्रेशन द्वारा मजबूत बनाने का संकल्प इमर्ज हो तब कहेगेण यज्ञ रक्षक !
स्लोगनः ज्ञानी तू आत्मा वह है जिसका कर्म साधारण होते भी स्थिति पुरूषोत्तम हो !
२७-०३-२०१२, मंगळवार
मीठे बच्चे,
बाप आये है तुम्हे इस दुःख के लोक से निकाल सुख के धाम में ले जाने, धाम पवित्र स्थान को कहा जाता है !
प्रश्नः यह बेहद का खेल किन दो शब्दों के आधार पर बना है ?
उतरः "वर्सा और श्राप" बाप सुख का वर्सा देते, रावण दुःख का श्राप देता, यह बेहद की बात है ! देवी-देवता धर्म वाले बाप से वर्सा लेते है ! आधाकल्प के बाद फिर रावण श्राप देता है ! तुम बच्चों को अब स्मृति आई की हम निराकारी दुनिया में रहते थे फिर सुख का पार्ट बजाया ! हम सो देवता, क्षत्रिय, वैश्य, शुद्र बनें अब ब्राह्मण बन देवता बनते है !
गीतः ओम् नमो शिवाए...
धारणा के लिए मुख्य सार
१.इस अन्तिम जन्म में राम की मत पर चलना है ! कभी भी राम की शरण छोड़ रावण की शरण में जाकर बाप की निंदा नहीं करानी है !
२.सजाओं से छूटने के लिए योगी बन विकर्म विनाश करने है ! पवित्र दुनिया में चलने के लिए पवित्र जरुर बनना है !
वरदानः सर्व विकारों के अंश का भी त्याग कर सम्पूर्ण पवित्र बनने वाले नम्बर वन विज्यी भव !
सम्पूर्ण पवित्र वह है जिसमें अपवित्रता का अंश मात्र भी न हो ! पवित्रता ही ब्राह्मण जीवन की पर्सनालीटी है ! यह पर्सनालीटी ही सेवा में सहज सफलता दिलाती है ! लेकिन यदि एक भी विकार का अंश है तो दुसरे साथी भी उसके साथ जरुर होगें ! जैसे पवित्रता के साथ सुख-शातिं है, ऍसे अपवित्रता के साथ पांच विकारों का गहरा संबंध है, इसलिए एक भी विकार का अंश न रहे तब नंबरवन विज्यी बनेगें !
स्लोगनः हिम्मत का एक कदम रखो तो हजार गुणा मदद मिल जायेगी !
२८-०३-२०१२, बुधवार
मीठे बच्चे,
तुम्हारे पास जो कुछ है, उसे ईश्वरीय सेवा में लगाकर सफल करो, कोलेज कम होस्पीटल खोलते जाओ !
प्रश्नः तुम बच्चों का शिवबाबा से कौनसा एक संबध बहुत रमणीक और गुह्य है ?
उतरः तुम कहते हो शिवबाबा हमारा बाप भी है तो बच्चा भी है, परंतु बाप सो फिर बच्चा कैसे, यह बहुत रमणीक और गुह्य बात है ! तुम उन्हे बालक भी समझते हो क्योंकि उन पर पूरा बलिहार जाते हो ! सारा वर्सा पहले तुम उनको देते हो ! जो शिवबाबा को अपना वारिस बनाते है, वही २१ जन्मों का वर्सा पाते है ! यह बच्चा ( शीवबाबा) कहता है कि मुझे तुम्हारा धन नहीं चाहिए ! तुम सिर्फ श्रीमत्त पर चलो तो तुम्हें बादशाही मिल जायेगी !
गीतः माता ओ माता...
धारणा के लिए मुख्य सार
१.अब रावण की मत छोड़ श्रीमत्त पर चलना है और सब संग तोड़ एक बाप के संग जोड़ना है !
२.निश्चयबुध्धि बन पढ़ाई जरुर पढ़नी है ! किसी भी विघ्न से बाप का हाथ नहीं छोड़ना है ! योग से तन्दुरस्ती और पढ़ाई से राजाई लेनी है !
वरदानः देह-अहंकार वा अभिमान के सुक्ष्म अंश का भी त्याग करने वाले आकारी सो निराकारी भव!
कईयों का मोटे रुप से देह के आकार में लगाव वा अभिमान नहीं है लेकिन देह के संबध से अपने संस्कार विशेष है, बुध्धि विशेष है, गुण विशेष है, कलायें विशेष है, कोई शक्ति विशेष है-उसका अभिमान अर्थात् अहंकार, नशा, रोब-ये सुक्ष्म देह-अभिमान है ! तो यह अभिमान कभी भी आकारी फरिस्ता वा निराकारी बनने नहीं देगा, इसलिए इसके अंश मात्र का भी त्याग करो तो सहज ही आकरी सो निराकारी बन सकेगें !
स्लोगनः समय पर सहयोगी बनो तो पदमगुणा return मिल जायेगा !
२९-०३-२०१२, गुरुवार
मीठे बच्चे 
अगर बाप से मिलन मनाना है, पावन बनना है तो सच्चे-सच्चे रूहानी आशिक बनो, एक बाप के सिवाए किसी को भी याद न करो'' 
प्रश्न: ब्राह्मण जो देवता बनते हैं, उन ब्राह्मणों का पद देवताओं से भी ऊंचा है, कैसे? 
उत्तर: ब्राह्मण इस समय सच्चे-सच्चे रूहानी social worker हैं। मनुष्यों की रूह को पवित्रता, योग का injection लगाते हैं। भारत के डूबे हुए बेड़े को श्रीमत्त पर पार लगाते हैं। नर्कवासी भारत को स्वर्गवासी बनाते हैं। ऐसी सेवा देवतायें नहीं करेंगे। वह तो इस समय के सेवा की प्रालब्ध भोगते हैं, इसलिए ब्राह्मण देवताओं से भी ऊंच हैं।
गीतः हमारे तीर्थ न्यारे है...
धारणा के लिए मुख्य सार
१.ज्ञान चिता पर बैठ सम्पूर्ण पावन (गोरा) बनना है ! पवित्रता ही number one beauty है, इसे धारण कर बाप का बच्चा कहलाने का हकदार बनना है 
२.इस कयामत  के समय में सिर पर जो पापों का बोझा है, उसे एक बाप की याद से उतारना है ! पुण्य आत्मा बनने के लिए श्रेष्ट कर्म करना है !
वरदानः निर्माणता की महानता द्वारा सर्व की दुआयें प्राप्त करने वाले master सुखदाता भव !
महानता की निशानी निर्माणता है, जितना निर्माण बनेंगे उतना सब के दिल में महान स्वतः बनेंगे ! निर्माणता निरंहकारी सहज बनाती है ! निर्माणता का बीज महानता का फल स्वतः प्राप्त कराता है ! निर्माणता ही सबकी दुआयें प्राप्त करने का सहज साधन है ! निर्माणता महिमा योग्य बना देती है ! निर्माणता सबके मन में प्यार का स्थान बना देती है ! वह बाप समान master सुखदाता बन जाते है !
स्लोगनः श्रेष्ट जिवन का अनुभव करने के लिए निश्चय का foundation मजबूत हो !
३०-०३-२०१२, शुक्रवार
मीठे बच्चे,
कोई भी कर्म, विकर्म न बने इसकी पूरी संभाल करनी है, कदम-कदम पर बाप की श्रीमत्त लेकर कर्म में आना है !
प्रश्नः विकर्मो से कौन बच सकता है ? बाप की सहायता किन्हें मिलती है ?
उतरः जो बाप से सदा सच्चे रहते, प्रतिज्ञा कर विकारों का दान देकर वापिस लेने का संकल्प नहीं करते, वह विकर्मों से बच जाते हैं ! बाप की सहायता उन्हें मिलती जो कर्म, विकर्म बनने के पहले राय लेते है ! साकार को अपना सच्चा-सच्चा समाचार बताते है ! बाबा कहते बच्चे, सर्जन के आगे कभी अपनी बीमारी छिपाना नहीं ! पापों को छिपायेंगे तो वृध्दि होती रहेगी, पद भी भ्रष्ट हू जायेगा, सजायें खानी पड़ेगी !
गीतः बचपन के दिन भुला न देना....
धारणा के लिए मुख्य सार
१.देह-अभिमान में आकर कभी भी विकारो के फन्दे में नहीं फंसना है ! कर्म, विकर्म न बनें इसलिए कर्म के पहले बाप से राय लेनी है !
२.माँ बाप को फोलो करना है ! ऊंच पद के लिए संपूर्ण पावन जरुर बनना है !
वरदानः "मै" शब्द की स्मृति द्वारा अपने ओरीजनल स्वरुप में स्थित होने वाले देह के बंधन से मुक्त भव !
एक "मै" शब्द ही उड़ाने वाला है और "मै" शब्द ही नीचे ले आने वाला है ! मै कहने से ओरीजनल निराकार स्वरुप याद आ जाये, यह नेचरल हो जाए, देहभान का मैं समाप्त हो जाए तो देह के बंधन से मुक्त बन जायेगें क्योंकि यह मैं शब्द ही देह-अहंकार में लाकर कर्म-बंधन में बांध देता है ! लेकिन मैं निराकारी आत्मा हूँ, जब यह स्मृति आती है तो देहभान से परे हो, कर्म के संबध में आयेंगे, बंधन में नहीं !
स्लोगनः निश्चित विज्य और निश्चिंत स्थिति का अनुभव करने के लिए संपूर्ण निश्चयबुध्धि बनो !
३१-०३-२०१२, शनिवार
मीठे बच्चे,
एकान्त में बैठ पढ़ाई करो तो धारणा बहुत अच्छी होगी, सवेरे-सवेरे उठ कर विचार सागर मंथन करने की आदत डालो !
प्रश्नः Full pass होना है तो कौन से ख्याल आने चाहीए, कौन से नहीं आने चाहिए ?
उतरः Full pass होने के लिए सदा यही ख्याल रहे कि हमें रात-दिन खूब महेनत करके पढ़ना है ! अपनी अवस्था एसी ऊंची बनानी है जो बापदादा के दिलतख्त पर बैठ सकें ! नींद को जीतने वाला बनना है ! खुशी में रहना है ! बाकी यह ख्याल कभी नहीं आना चाहिए कि drama में वा नशीब में जो होगा वह मिल जायेगा ! यह ख्याल अलबेला बना देता है
गीतः तुम्हें पाके हमने जहाँ पा लिया है...
धारणा के लिए मुख्य सार
१.जो कर्म हम करेंगे, हमको देख और करेंगे, इसलिए हर कर्म पर ध्यान देना है ! बहुत-बहुत निर्माणचित्त, निरंहकारी बनना है ! अहंकार को तोड़ देना है !
२.अपना नशीब (तकदीर) ऊंचा बनाने के लिए अच्छी रीति पढ़ाई पढ़्नी है ! सवेरे-सवेरे उठकर बाप को याद करने का शौक रखना है !
वरदानः वाणी के साथ वृति द्वारा रुहानी vibration फैलाने की सेवा करने वाले double सेवाधारी भव!
जैसे वाणी द्वारा सेवा करते हो एसे वाणी के साथ वृति द्वारा सेवा करो तो fast सेवा होगी क्योकिं बोल तो समय पर भूल जाते हैं लेकिन vibration के रुप में मन और बुध्धि पर छाप लग जाती है ! तो यह सेवा करने के लिए वृति में किसी के लिए भी व्यर्थ vibrations न हों ! व्यर्थ vibration रुहानी vibration के आगे एक दीवार बन जाती है, इसलिए मन-बुध्धि को व्यर्थ vibration से मुक्त रखो-तब double सेवा कर सकेंगे !
स्लोगनः फरियाद करने के बजाए याद में रहो तो सर्व अधिकार मिल जायेंगे !