Monday, January 2, 2012

बाबा की मुरली जान्युआरी २०१२




०१-०१-२०१२, रविवार
प्रात:मुरली ओम् शान्ति ''अव्यक्त-बापदादा'' रिवाइज:06-04-95 मधुबन

टाइटल :प्योरिटी की रूहानी पर्सनालिटी की स्मृति स्वरूप द्वारा मायाजीत बनो

वरदान: 
सतसंग द्वारा रूहानी रंग लगाने वाले सदा हर्षित और डबल लाइट भव 

स्लोगन: 
अपने मीठे बोल और उमंग-उत्साह के सहयोग से दिलशिकस्त को शक्तिवान बनाओ।
स्वमान : मै लवलीन आत्मा हुं !

०२-०१-२०१२, सोमवार 
मीठे बच्चे,
               कर्म व्यवहार करते बुध्धियोग एक बाप से लगा रहे, यही सच्ची यात्रा,इस यात्रा में कभी भी थकना नहि !
प्रश्न : ब्राह्मण जीवन मे उन्नति के लीए कीस बात का बल चाहीए ?
         अनेक आत्माओकी आशीर्वाद का बल ही उन्नति का साधन है, जीतना अनेको का कल्याण करेगें, जो ज्ञान रत्न बाप से मीले है उनका दान करेगें उतना अनेक आत्माओ की आशीर्वाद मीलेगी, बाबा बच्चो को राय देते है, बच्चो पैसा है तो centre खोलते जाओ, hospital cum university खोलो इसमें जीसका भी कल्याण होगा उसकी आशीर्वाद मील जायेगी !
गीत : रात के राही थक मत जाना सुबह की मंजील दुर नहि.....
मुरली का सार : ज्ञानी तुं आत्मा बन शंख ध्वनि करनी है, हर एक को सच्ची यात्रा सीखलानी है ! अपनी प्रजा तैयार करनी है !
-बुध्धि से पुरानी दुनिया को फारगति देना है, नइ दुनिया से बुध्धियोग लगाना है, निर्भय , निर्वैर बनना है !
वरदान : बाबा शब्द की स्मृति से हद के मेरेपन को अर्पण करनेवाले बेहद के वैरागी भव !
स्लोगन : अपनी सेवा को बाप के आगे अर्पण कर दो तो सेवा का फल और बल प्राप्त होता रहेगा !
स्वमान : मै सदा सफलता मुरत हुं
०३-०१-२०१२, मंगळ्वार
मीठे बच्चे,
               आधा कल्प से जो पांच विकारोकी बीमारीया लगी हुइ थी वह अब छुटी की छूटी, इसलीए अपार खुशी में रहना है !
प्रश्न : तुम बच्चो को कौन सी एक hobby रखनां है ? कीन बातों से तुम्हारी तालुक नहि ?
         एक बाप से पुरा वर्सा लेने की hobby रखनी है, मनुष्यो को तो अनेक प्रकार की hobby होती है, तुम्हे सब छोड देनी है ! तुम इश्वर के बच्चे बने हो ,बाप के साथ वापस जाना है, इसलीए इस शरीर से तालुक रखनेवाली सब बातों भुल जाना है ! पेट को दो रोटी खीलानी है और बुध्धि नइ दुनिया से लगानी है !
गीत : जीसका साथी है भगवान उसको क्या रोकेगी आंधी और तुफान.....
मुरली का सार : विज्य माला में आने के लीए मम्मा बाबा के समान service करनी है, मुरली धारण कर फीर सुनानी है ! चलन बडी royal  रखनी है !
-अपनी विशाल बुध्धि से बेहद के drama को जान खुशी में रहना है ! तुफानो से डरना नहि है ! ज्ञान मखन दे बुध्धि को भरपुर रखना है !
वरदान : इश्वरीय संस्कारो को कार्य में लगाकर सफल करनेवाले सफलता मुरत भव !
स्लोगन: बाबा और में यह छ्त्रछाया साथ है तो कोइ भी विघ्न ठहर नहि सकता !
स्वमान : मै आधार मुरत हुं ! 

०४-०१-२०१२, बुधवार
मीठे बच्चे,
               इकीस जन्मो के लीए सदा सुखी बनने के लीए इस थोडे समय में देहि अभिमानी बननेकी आदत डालो !
प्रश्न : देहि राजधानी स्थापन करने के लीए हरएक को कौनसा शोख होना चाहीए ?
        ज्ञान रत्नो का दान कैसे करे यह शोख रखो, तुम्हारी यह  mission है, पतित को पावन बनाने की ,इसलीए बच्चो को राजाइ वृध्धि करने के लीए खुब service करनी है, जहां भी मेले आदी लगते है, लोग स्नान करने जाते है, वहां परचे छपा कर बांटने है ! ढींढोरा पीटवाना है !
गीत : तुम्हे पा के हमने जहां पा लीया, जमीं तो जमीं आशमां पा लीये....
मुरली का सार : देह अभिमान की कडीया काट देहि अभिमानी बनना है ! Saul conscious  रहने का संस्कार डालना है !
-Service का बहुत शोख रखना है, बाप समान पतित से पावन बनाने की सेवा करनी है ! सच्चा हीरा बनना है!
वरदान : ब्राह्मण जीवन में सदा खुशी की खुराक खाने और खिलानेवाले श्रेष्ट नशीबवान भव ! 
स्लोगन : हर परिस्थिति में सहनशील बनो तो मोज का अनुभव करते रहेगें !

स्वमान : मै तीव्र पुरुषार्थी हुं
०५-०१-२०१२, गुरुवार
मीठे बच्चे,
            यह तुम्हारी वानप्रस्थ अवस्था है, इसलीए एक बाप को याद करनां है, निर्वाणधाम चलने की तैयारी करनी है !
प्रश्न : बाप के पांस कीस बात का भेद नहि है ?
        गरीब वा शाहुकार हरएक को पुरुषार्थ से अप्ना उच्च पद पाने का अधिकार है, आगे चल सब को अप्ने पद का साक्षात्कार होगा, बाबा कहते है मै गरीब नीवाझ हुं इसलीए अभी गरीब बच्चो की सब आशाए पुरी होती है, यह अतिंम समय है, कीसीकी दबी रहेगी धुलमे जो बाप को insured करते है उनका सफल होता है !
गीत ; आखीर वह दिन आया आज....
मुरली का सार ; माया के तुफानो को पार करते हुए बाप से पुरा वरसा लेना है ! मातपिता की आज्ञाओ को अमल मे लाना है !
-पुरानी दुनिया को भुल नइ दुनिया को याद करना है, मोत के पहले बाप के पांस स्वयं को insured कर देना है!
वरदान : दुःख को सुख, ग्लानी को प्रशंशा में परिवर्तन करनेवाले पूण्य आत्मा भव !
स्लोगन : बापदादा के नयनो में समानेवाले ही जहान के नूर, बापदादा का साक्षात्कार करानेवाली 
श्रेष्ट आत्मा है !
स्वमान : मै master सर्व शक्तिमान हुं !

०६-०१-२०११, शुक्रवार
मीठे बच्चे,
               संगम पर तुम्हे बेहद का बाप मीला है, तुम आपस में भाइ बहन हो, तुम्हे बाप से वरसा लेना है !
प्रश्न : बाप की कीस श्रीमत्त से हर चीज को पथ्थर से पारस बना सकते हो ?
        बाप की श्रीमत्त है, बच्चे तुम्हारे पांस जो कुछ भी है उसे इश्वरीय बेंक में जमा करदो तो वह पथ्थर से पारस हो जायेगा, बाबा तो देनेवाला है वह तुमसे कुछ भी लेता नहि, लेकीन तुम्हारे पांस जो भी extra है, उसको सफल करो ! कीसी से करजा आदी नहि लेना है !
गीत : तुने रात गंवाइ सोके, दिन गंवाया खाके....
मुरली का सार : कोइ भी खराब आदत नहि रखनी है, श्रीमत्त पर अपना एक एक पैसा सफल कर भविष्य के लीए जमा करना है !
-इश्वरीय कुल का बन कोइ भी आसुरी कार्य नहि करना है, सत्तगुरु के निंदक कभी नहि बनना है !
वरदान : हर संकल्प,बोल और कर्म द्वारा पूण्य कर्म करनेवाले दुआओ के अधिकारी भव ! 
स्लोगन : सदा एक बाप की company में रहो और बाप को अपना companion बनाओ यही श्रेष्ट्ता 


है !
स्वमान : मै निर्वीध्न हुं !
०७-०१-२०१२
मीठे बच्चे,
               तुम्हारे सुख के दिन अब आ रहे है, लोक लाज कलयुगी कुल की मर्यादाए सब छोड अब तुम कमाइ करो, बापसे पुरा वरसा लो !
प्रश्न : अंतमति सो गति कीस पुरूषार्थ से होगी ?
         बच्चे तुमने अब तक जो कुछ पढा है, उसे भुल सीर्फ एक बात याद करो, चुप रहो, अपने को आत्मा समज बापकी याद में रहने का पुरूषार्थ करो ! बाप बच्चो को कोइ तकलीफ नहि देते लेकीन दरबदर होने से बचाते है, गरीब बच्चे जो शादी आदी के लीए करजा लेते है, बाबा उसे भी छुडा देते है ! बाबा कहते बच्चे तुम पवित्र बनो तो अंतमति सो गति हो जायेगी !
गीत : धीरज धर मनवा तेरे सुख के दिन आये की आये......
मुरली का सार : बाप की आशीर्वाद लेने के लीए  serviceable  बनना है, आप समान बनाने की सेवा करनी है ! अभी ज्ञान ज्ञानेश्वरी बन फीर राज राजेश्वरी बनना है !
- एक बाप की याद में रहने की महेनत करनी है ! कीसी देहधारी में लगाव नहि रखना है, नींद को जीतनेवाला बन रातमें कमाइ करनी है !
वरदान : कर्म करते हुए न्यारी और प्यारी अवस्था में रह हलकेपन की अनुभूति करनेवाले कर्मातित भव !
स्लोगन : सर्व प्राप्तीओसे सदा संपन्न रहे तो सदा हर्षित, सदा सुखी और खुशनशीब बन जायेगें !
स्वमान : मै भाग्यवान आत्मा हुं !

०८-०१-२०१२, रविवार
अव्यक्त मुरली (१५-०४-१९७४)
: विघ्नविनाशक बनकर अंगद समान माया पर विज्य प्राप्त करो :
मीठे बच्चे,
               क्या उन्नति की और बढते हो ? 
               चडती कला की निशानी है, सदा लगन में मगन रहो और विघ्नविनाशक बनो ! तुफान को तोहफा समजो! आये हुए तुफान हलचल मचाते है या उल्हास बढाते है ? तुफान को तुफान समजा तो हलचल मच जायेगी और तोहफा समजेगें तो उल्हास में रहेगें ! तुफानो से गभराने के बजाय तुफानो के सागर मे से अनुभव के रत्नो को ढुंढो ! हलचल में रत्न समाये हुए है ! आये हुए तुफान को उपर उपर से देखेगें तो हलचल दीखेगी अगर अंतर्मुख बनकर देखेगें तो ज्ञानरत्न पायेगें !दुश्मन ही शस्त्र की याद दीलायेगें !
वरदान : अपने हल्केपन की स्थिति द्वारा हर कर्मको light बनानेवाले बाप समान न्यारे और प्यारे भव !
               मन बुध्धि और संस्कार आत्मा की वो सुक्ष्म शक्तिया है तीनो में light अनुभव करना यहि बाप समान न्यारे और प्यारे बनना है, क्योंकी समय प्रमाण बाहर का त्तमो प्रधान वातावरण मनुष्य आत्माओ की वृतिओमें भारीपन होगा, जीतना बाहरका वातावरण भारी होगा उतना आप बच्चो के संकल्प, कर्म,संबध light होते जायेगें और lightness होने के कारण सारा कार्य light चलता रहेगा, कारोबार का प्रभाव आप पर नहि पडेगा, यही स्थिति बाप समान स्थिति है !
स्लोगन : इसी अलौकिक नशे में रहो, वाह रे मै, तो मन और तन से natural dance होती रहेगी !
स्वमान : मै सर्व खजानो का मालिक हुं !
०९-०१-२०१२, सोमवार
मीठे बच्चे,
               एक इश्वर से सच्ची महोब्बत रखनी है, इस इन्द्र के दरबार में सपुत बच्चो को ही लाना है, कीसी कपुत को नहि !
प्रश्न : इकीस जन्मो की बडे से बडी lottery  लेने के लीए कौनसा पुरूषार्थ करते चलो ?
        एक पारलौकीक साजन को याद करके और उसकी श्रीमत्त पर चलने का पुरा पुरूषार्थ करो, यदी कीसी के नाम रूप मे बुध्धि लटकी हुइ है तो वहां से बुध्धियोग नीकालते जाओ, रातमें जब फुरसत मीलती है तो प्यार से बाप को याद करो तो इकीस जन्मो की lottery मील जायेगी !
गीत : न वह हम से जुदा होगें न हम उस से...
मुरली का सार : अपनी aim object  को सामने रख उच्च पद पाने का पुरुषार्थ करनां है, चलन बहुत royal रखनी है और श्रीमत्त पर चलते रहेना है !
-कीसी भी देहधारी के नाम रुप को याद नहि करना है, एक बाप की अव्यभिचारी याद में रहने का पुरुषार्थ करना है !
वरदान : बाप को अपनी सर्व जीम्मेवारीया देकर सेवा का खेल करनेवाले master सर्व शक्तिमान भव !
स्लोगन : मुरलीधर की मुरली पर देह की शुधबुध्ध भूलनेवाले खुशी के जुले में जुलनेवाली सच्ची सच्ची गोपीका बनो !
स्वमान : मै अनुभव मुरत हुं !
१०-०१-२०१२, मंगळ्वार
मीठे बच्चे,
               आत्मा को निरोगी बनाने के लीए study करो और कराओ, रूहानी hospital खोलो !
प्रश्न : कौनसी एक आश रखने से बाकी सब आशाए स्वतः पुर्ण हो जाती है ?
        सीर्फ बाप को याद कर ever healthy बनने की आश रखो, ज्ञान योग की आश पूर्ण की तो बाकी सब आशाए स्वतः पूरी हो जायेगी ! बच्चो को कोइ भी आदत नहि रखनी है all rounder बनना है, भल खामीया हर एक में है परंतु service जरूर करनी है !
गीत : धीरज धर मनवा धीरज धर ,तेरे सुख के दिन आये की आये.....
मुरली का सार : आराम पसंद नहि बनना है, service का बहुत बहुत शोख रखना है ! service में ही पैसे खर्च करने है ,मनुष्य के जीवन कांटे से फुल बनानी है !
 -सदैव construction का काम ही करना है, destruction का नहि ! अपने आप से बातें करनी है, हम कहां जा रहे है? क्या बन रहे है ?
वरदान : सत्यता की हिंमत से विश्वास का पात्र बननेवाले बाप वा परिवार के स्नेहि भव !
               विश्वास की नाँव है, दील और दीमाग की honesty है तो उसके उपर बापका वा परिवार का स्वतः दील से प्यार और विश्वास होता है, विश्वास के कारण स्थुल अधिकार उसको दे देते है, वे स्वतः ही सब के स्नेहि बन जाते है ! इसलीए सत्यता की हींमत से विश्वासपात्र बनो ! सत्य को सिध्ध नहि करो लेकीन सिध्दि स्वरूप बन जाओ तो तीव्र गति से आगे बढते रहेगें !
स्लोगन : सब से अधिक धनवान वह है जीसके पांस शांति व पवित्रता का खजाना है !
स्वमान : मै master knowledgeful हुं !
११-०१-२०१२, बुधवार
मीठे बच्चे, 
               अब सच की वार्तालाप करनी है, तुम जज कर सकते हो कि राइट क्या है और रांग क्या है'' 
प्रश्न: अन्तर्यामी बाप दुनिया के सभी बच्चों के अन्दर की कौन सी बात जानते हैं?
 उत्तर: बाप जानते हैं कि इस समय सभी में 5 भूत प्रवेश हैं, रावण सर्वव्यापी है। तुम बच्चों ने तो 5 भूतों का दान दिया है लेकिन कभी कोई वापिस ले लेते हैं। माया की बहुत कड़ी बॉक्सिंग हैं। बार-बार हारने से कमजोर हो जाते हैं इसलिए बाबा कहते - बच्चे दान देकर फिर वापिस नहीं लेना है। माया से हारना नहीं। अमृतबेले उठ बाप को याद करना तो भूत भाग जायेंगे।
गीत: निर्बल से लड़ाई बलवान की... 

धारणा के लिए मुख्य सार: 

1) विनाश के पहले बाप से पूरा-पूरा वर्सा लेना है। रात-दिन योग में रह विकर्म विनाश कर नम्बर आगे लेना है। 
2) देह सहित पुरानी दुनिया के सब सम्बन्धों को बुद्धि से भूल एक बाप को याद करना है। जो चीज़ दान दे दी, उसे वापस नहीं लेना है। 

वरदान: सर्व शक्तियों रूपी बर्थ राइट को हर समय कार्य में लगाने वाले मा. सर्वशक्तिमान् भव 

सर्व शक्तियां बाप का खजाना हैं और उस खजाने पर बच्चों का अधिकार है। अधिकार वाले को जैसे भी चलाओ वैसे वह चलेगा। ऐसे ही सर्वशक्तियां जब अधिकार में होंगी तब नम्बरवन विजयी बन सकेंगे। तो चेक करो कि हर शक्ति समय पर काम में आती है! हर परिस्थिति में अधिकार से शक्ति को यूज करो। बहुतकाल से शक्तियों रूपी रचना को कार्य में लगाने का अभ्यास हो तब कहेंगे मास्टर सर्वशक्तिमान्। 
स्लोगन: उमंग और उत्साह के बिना कोई भी महान कार्य नहीं हो सकता है। 

परमात्म प्यार में समा जाओ
बाप से सच्चा प्यार है तो प्यार की निशानी है-समान, कर्मातीत बनो। 'करावनहार' बन कर्मेन्द्रियों से कर्म कराओ। कभी भी मन-बुद्धि वा संस्कारों के वश होकर कोई भी कर्म नहीं करना। इसके लिए ''मैं आत्मा मालिक हूँ'' इस मालिकपन का अभ्यास बढ़ाओ।

१२-०१-२०१२, गुरूवार
मीठे बच्चे,
               तुम्हे सदा service के खयालातो में रहेना है, ज्ञानी तुं आत्मा बनना है, समय व्यर्थ नहि गँवाना है !
प्रश्न : जो ज्ञानवान बच्चे है उनकी निशानी क्या होगी ?
        वे सदा service पर जुटे रहेगें, अविनाशी ज्ञानरत्नो का दान करने में ऊन्हे खुशी होगी, बाप भी उनसे राजी होगा, वह कभी वाहीयात खानपान आदी के खयालातो में समय नहि गँवायेगें ! ऊनको कभी रोना नहि आ सकता, ऊन्हे कभी यह अहंकार नहि आयेगा की फलाने को हमनॅ ज्ञान दीया, हंमेशा कहेगें बाबा ने दीया !
गीत : दुखीयो पर रहम करो...
धारणा के लीए सार : कभी भी अपना अहंकार नहि दीखाना है, दधीचि ऋषि मीशल सेवा में हड्डीया देना है, सदा हर्षित मुख रहेना है !
-कभी भी रोना नहि है, रोना माना विधवा बनना, इसलीए मुस्कराते रहेना है ! जोरसे भी हंसना नहि है !
वरदान : समय के ज्ञान को स्मृति में रख सब प्रश्नो को समाप्त करनेवाले स्वदर्शन चक्रधारी भव !
स्लोगन : अनेक आत्माओ की सच्ची सेवा करनी है तो शुभचिंतक बनो !
स्वमान : मै विश्वपरिवर्तक हुं !
१३-०१-२०१२, शुक्रवार
मीठे बच्चे,
               ब्रह्मा सो विष्णु, विष्णु सो ब्रह्मा कैसे बनते है ? दोनो एक दुसरे की नाभी से कब नीकलते है यह राज सिध्ध कर समजाओ !
प्रश्न : कौन सी गुप्त बात महिन बुध्धिवाले बच्चे ही समज सकते है ?
        हम सब की बडी मां यह ब्रह्मा है, जीसके हम मुख वंशावली है ! यह बडी गुप्त बात है ! ब्रह्मा की बेटी है सरस्वती वह है सब से होशींयार Goddess of knowledge ,बाप ने ज्ञान का कलश माताओ पर रखा है, माता की लोरी गाइ हुइ है वह सबको समजाये की विश्वमे शांति कैसे हो सकती है !
गीत : भोलेनाथ से नीराला और कोइ नहि...
धारणा के लीए सार : सबसे बडी highest authority बाप है ! उसे यथार्थ रूपसे पहेचान कर regard रखना है, उनकी श्रीमत्त पर पुर पुरा चलना है !
-बापने ज्ञानका कलश माताओ को दीया है उन्हे आगे रखना है !
वरदान : शक्तिशाली याद द्वारा परिवर्तन,खुशी और हलकेपन की अनूभुति करनेवाले स्मृति से समर्थ स्वरूप भव !
स्लोगन : अनुभवि वह है जीसकी दील मजबुत और बुजुर्ग हो !
स्वमान : मै lovefull हुं !
१४-०१-०१२, शनिवार
मीठे बच्चे,
               खामीयो का दान देकर फीर अगर कोइ भूल हो जाये तो बताना है, मीया मीठु नहि बनना है ! कभी भी रुठना नहि है !
प्रश्न : कौनसी बात सीमरन कर अपार खुशी में रहो ? कीस बात से कभी रंज नहि होना है ?
        सीमरन करो हम अभी राजयोग सीख रहे है, फीर जा कर सूर्यवंशी,चंद्रवंशी राजा बनेगें ! सुंदर सुंदर महेल बनायेगें, हम जाते है अपने सुखधाम via शांतिधाम, वहां सब first class चीजे होगीं, तन भी बहुत सुंदर निरोगी मीलेगा, यहां अगर इस पीछाडी के पुराने शरीरमें बीमारी आदी होती है तो रंज नहि होना चाहीए, दवाइ करनी है !
गीत : महेफील में जल उठी शमा परवाने के लीए...
धारणा के लीए सार : जो ज्ञानयोग में तीखे है, अच्छी service करते है उन्हे बहुत बहुत regard देना है ! आप आप कह बात करनी है, आपस में कभी रूठना नहि है !
-ब्राह्मण कुलमें बहुत बहुत खीरखंड होकर रहेना है ! ध्धुतेपन, परचिंतनसे अपनी संभाल करनी है ! सत्संग जरूर करना है !
वरदान : स्मृति स्वरूप के वरदान द्वारा सदा शक्तीशाली स्थिति का अनुभव करनेवाले सहज पुरूषार्थी भव!
स्लोगन : ज्ञान की पराकाष्ठा पर पहोंचना है तो गुप्तरूप से पुरूषार्थ करो !
स्वमान : मै फरिस्ता हुं !
१५-०१-२०१२, रविवार

प्रात:मुरली ओम् शान्ति अव्यक्त-बापदादा'' रिवाइज:28-04-74 मधुबन

टाइटलः स्थुल के साथ-साथ सूक्ष्म साधनों से ईश्वरीय-सेवा में सफलता

वरदान: 
बाप द्वारा प्राप्त हुए सर्व खजानों को कार्य में लगाकर बढ़ाने वाले ज्ञानी-योगी तू आत्मा भव 

स्लोगन: 
स्वभाव और विचारों में अन्तर होते हुए भी स्नेह में अन्तर नहीं होना चाहिए। 

परमात्म प्यार में समा जाओ :

दुनिया जिस प्यार के एक बूँद की प्यासी है, वह प्रभु प्यार आप बच्चों की प्रापर्टी है। उसी प्रभु प्यार से पलते हो अर्थात् ब्राह्मण जीवन में आगे बढ़ते हो। तो सदा प्यार के सागर में लवलीन रहो, यह परमात्म प्यार ही इस ब्राह्मण जीवन का आधार है।
स्वमान : मै स्वमानधारी हुं !
१६-०१-२०१२, सोमवारमीठे बच्चे,
 देह-अभिमान में आने से ही विकर्म बनते हैं, इसलिए प्रतिज्ञा करो और सब संग तोड़ एक संग जोड़ेंगे

प्रश्न: कौन सा खेल नेचुरल है लेकिन मनुष्य उसे गॉडली एक्ट समझते हैं?
उत्तर: ड्रामा में यह जो नेचुरल कैलेमिटीज़ आती हैं, विनाश के समय एक ही समुद्र की लहर में सब खण्ड टापू आदि खत्म हो जाते हैं, जिसका रिहर्सल अभी भी होता रहता है, यह सब नेचुरल खेल है। इसे मनुष्य गॉडली एक्ट कह देते हैं। परन्तु बाबा कहते मैं कोई डायरेक्शन नहीं देता हूँ, यह सब ड्रामा में नूंध है।

गीत: कौन आया मेरे मन के द्वारे...
धारणा के लिए मुख्य सार:
1) ज्ञान की धारणा के लिए जितना हो सके, देही-अभिमानी रहना है। अशरीरी बनने का अभ्यास रात को जागकर करना है।
2) कैसे भी करके मुरली रोज़ सुननी वा पढ़नी है। एक दिन भी मिस नहीं करनी है और संग तोड़ एक संग जोड़ने की प्रतिज्ञा करनी है।

वरदान: कर्म और योग के बैलेन्स द्वारा निर्णय शक्ति को बढ़ाने वाले सदा निश्चिंत भव 
सदा निश्चिंत वही रह सकते हैं जिनकी बुद्धि समय पर यथार्थ जजमेंट देती है क्योंकि दिन-प्रतिदिन समस्यायें, सरकमस्टांश और टाइट होने हैं, ऐसे समय पर कर्म और योग का बैलेन्स होगा तो निर्णय शक्ति द्वारा सहज पार कर लेंगे। बैलेन्स के कारण बापदादा की जो ब्लैसिंग प्राप्त होगी उससे कभी संकल्प में भी आश्चर्यजनक प्रश्न उत्पन्न नहीं होंगे। ऐसा क्यों हुआ, यह क्या हुआ..यह क्वेश्चन नहीं उठेगा। सदैव यह निश्चय पक्का होगा कि जो हो रहा है उसमें कल्याण छिपा हुआ है। 
स्लोगन: एक बाबा से सर्व संबंधों का रस लो और किसी की भी याद न आये।

परमात्म प्यार में समा जाओ:
कर्म में, वाणी में, सम्पर्क व सम्बन्ध में लव और स्मृति व स्थिति में लवलीन रहो। जो जितना लवली होगा, वह उतना ही लवलीन रह सकता है। जब आप बच्चे बाप के लव में लवलीन रहेंगे तो औरों को भी सहज आप-समान व बाप-समान बना सकेंगे।

स्वमान : मै बेफीकर बादशाह हुं !
०१७-०१-२०१२, मंगळ्वार
मीठे बच्चे,  
सर्वशक्तिमान् बाप की याद से आत्मा पर चढ़ी हुई विकारों की जंक को उतारने का पुरूषार्थ करो !
प्रश्न: बाप से बुद्धियोग टूटने का मुख्य कारण वा जोड़ने का सहज पुरुषार्थ क्या है? 
उत्तर: बुद्धियोग टूटता है देह-अभिमान में आने से, बाप के फरमान को भूलने से, गन्दी दृष्टि रखने से इसलिए बाबा कहते बच्चे जितना हो सके आज्ञाकारी बनो। देही-अभिमानी बनने का पूरा-पूरा पुरूषार्थ करो। अविनाशी सर्जन की याद से आत्मा को शुद्ध बनाओ। 

गीत:
 आने वाले कल की तुम... 

धारणा के लिए मुख्य सार: 
1) बाप की आशीर्वाद लेने के लिए आज्ञाकारी बनना है। देही-अभिमानी बनने का फरमान पालन करना है। 
2) माया चूही है, इससे अपनी सम्भाल करनी है। लोभ नहीं करना है। श्रीमत पर पूरा-पूरा चलते रहना है। 


वरदान:
 एक के पाठ को स्मृति में रख तपस्या में सफलता प्राप्त करने वाले निरन्तर योगी भव

स्लोगन:
 आज्ञाकारी वो हैं जो मन और बुद्धि को मनमत से सदा खाली रखते हैं। 

परमात्म प्यार में समा जाओ :
मास्टर नॉलेजफुल, मास्टर सर्वशक्तिवान की स्टेज पर स्थित रह भिन्न-भिन्न प्रकार की क्यू से निकल, बाप के साथ सदा मिलन मनाने की लगन में अपने समय को लगाओ और लवलीन स्थिति में रहो तो और सब बातें सहज समाप्त हो जायेंगी, फिर आपके सामने आपकी प्रजा और भक्तों की क्यू लगेगी।
स्वमान : मै दीलतख्तनशीन हूं !

१८-०१-२०१२, बुधवार
शिवबाबा याद है? 

18-01-12 प्रात:मुरली ओम् शान्ति ''बापदादा'' मधुबन 
''मीठे बच्चे बाप के बने हो तो कदम-कदम श्रीमत पर चलते रहो, एवरहेल्दी बनना है तो एवर याद में रहो''

प्रश्न: सबसे बड़ा पुण्य कौन सा है? संगम पर पुण्यात्मा किसे कहेंगे? 
उत्तर: अविनाशी ज्ञान रत्नों का दान करना - यह सबसे बड़ा पुण्य है। संगम पर पुण्यात्मा वह है जो ज्ञान रत्नों को धारण करता है। अभी तुम उस विनाशी धन से बेगर बनते हो और अविनाशी ज्ञान धन से भरपूर हो 21 जन्मों के लिए साहूकार बन जाते हो। 

गीत: यह कौन आज आया सवेरे-सवेरे...

वरदान: बापदादा के स्नेह के रिटर्न में समान बनने वाले तपस्वीमूर्त भव !

स्लोगन: शीतल बन दूसरों को शीतल दृष्टि से निहाल करने वाले शीतल योगी बनो। 

परमात्म प्यार में समा जाओ 
आप गोप-गोपियों के चरित्र गाये हुए हैं - बाप से सर्व-सम्बन्धों का सुख लेना और मग्न रहना अथवा सर्व-सम्बन्धों के लव में लवलीन रहना। तो स्नेह के सागर में समा जाओ अर्थात् बाप का स्वरूप बन जाओ। ब्रह्मा बाप के स्नेह का रिटर्न समान बनकर दिखाओ।
स्वमान : मै ब्रह्माबाप समान हुं !


१९-०१-२०१२, गुरुवार

''मीठे बच्चे - समझदार बन हर काम करो, माया कोई भी पाप कर्म न करा दे इसकी सम्भाल करो'' 

प्रश्न: बाप का नाम बाला करने के लिए कौन सी धारणायें चाहिए? 

उत्तर: नाम बाला करने के लिए ईमानदार, वफादार बनो। सच्चाई के साथ सेवा करो। बहती गंगा बन

सबको बाप का संदेश देते जाओ। अपनी कर्मेन्द्रियों पर पूरा कन्ट्रोल रख, आशाओं को छोड़ कायदेसिर

चलन चलो, सुस्त नहीं बनो। ज्ञान-योग की पहले खुद में धारणा हो तब बाप का नाम बाला कर सकेंगे। 

गीत:- आज के इंन्सान को... 

धारणा के लिए मुख्य सार: 


1) अंगद मिसल अचल-अडोल बनना है, समय निकाल सच्चाई से, निर्भय हो सर्विस जरूर करनी है।

सर्विस से ही ताकत आयेगी। 


2) देह-अभिमान की बीमारी से बचने के लिए भोजन बहुत योगयुक्त होकर खाना है। हो सके तो अपने हाथ

से बनाकर शुद्ध भोजन स्वीकार करना है। 

वरदान: सर्व आत्माओं को शुभ भावना, शुभ कामना की अंचली देने वाले सच्चे सेवाधारी भव 


स्लोगन: 
पवित्रता ही ब्राह्मण जीवन का मुख्य फाउन्डेशन है, धरत परिये धर्म न छोड़िये। 

परमात्म प्यार में समा जाओ 


इस समय आप बच्चे नॉलेज के आधार से बाप की याद में समा जाते हो, यह समाना ही लवलीन स्थिति

है। जब लव में लीन हो जाते हो अर्थात् लगन में मग्न हो जाते हो तब बाप के समान बन जाते हो, इसी को

भक्तों ने समा जाना (लीन होना) कह दिया है।
स्वमान : मै luckiest हुं !

२०-०१-२०१२, शुक्रवार
मीठे बच्चे,
ज्ञान रत्नों को धारण कर रूहानी हॉस्पिटल, युनिवर्सिटी खोलते जाओ, जिससे सबको हेल्थ वेल्थ मिले''

प्रश्न: बाप का कौन सा कर्तव्य कोई भी मनुष्य आत्मा नहीं कर सकती है?
उत्तर: आत्मा को ज्ञान का इन्जेक्शन लगाकर उसे सदा के लिए निरोगी बनाना, यह कर्तव्य कोई भी मनुष्य नहीं कर सकते। जो आत्मा को निर्लेप मानते, वह ज्ञान का इन्जेक्शन कैसे लगायेंगे। यह कर्तव्य एक अविनाशी सर्जन का ही है जो ऐसी ज्ञान-योग की दवाई देते हैं जिससे आधाकल्प के लिए आत्मा और शरीर दोनों ही हेल्दी-वेल्दी बन जाते हैं।

गीत: यह वक्त जा रहा है...

धारणा के लिए मुख्य सार:
1) बाप के समीप आने के लिए रूहानी यात्रा पर रहना है। रात को जागकर भी यह बुद्धि की यात्रा जरूर करनी है।
2) सच्चे-सच्चे ब्राह्मण बन 21 कुल का उद्धार करना है। स्वदर्शन चक्रधारी बनना है। काल पर विजय पाने के लिए इस पुरानी खाल से ममत्व निकाल देना है।

वरदान: सदा ऊंची स्थिति के श्रेष्ठ आसन पर स्थित रहने वाली मायाजीत महान आत्मा भव !
जो महान आत्मायें हैं वह सदैव ऊंची स्थिति में रहती हैं। ऊंची स्थिति ही ऊंचा आसन है। जब ऊंची स्थिति के आसन पर रहते हो तो माया आ नहीं सकती। वो आपको महान समझकर आपके आगे झुकेगी, वार नहीं करेंगी, हार मानेंगी। जब ऊंचे आसन से नीचे आते हो तब माया वार करती है। आप सदा ऊंचे आसन पर रहो तो माया के आने की ताकत नहीं। वह ऊंचे चढ़ नहीं सकती।

स्लोगन: शान्ति का दूत बन सबको शान्ति का दान दो - यही आपका आक्यूपेशन है। 
परमात्म प्यार में समा जाओ 

जैसे कोई सागर में समा जाए तो उस समय सिवाय सागर के और कुछ नज़र नहीं आयेगा। तो सर्वगुणों के सागर बाप में समा जाना, इसको ही लवलीन स्थिति कहते हैं। तो बाप में नहीं समाना है, लेकिन बाप की याद में, स्नेह में समा जाना है।

स्वमान : मै हर्षितमुख आत्मा हुं !
२१-०१-२०१२, शनिवार

मीठे बच्चे,
किसी भी प्रकार की हबच (लालच) तुम बच्चों को नहीं रखनी है, किसी से भी कुछ मांगना नहीं है, क्योंकि तुम दाता के बच्चे देने वाले हो।

प्रश्न: तुम गाडली स्टूडेन्ट हो, तुम्हारा लक्ष्य क्या है, क्या नहीं?
उत्तर: तुम्हारा लक्ष्य है - बाप द्वारा जो नॉलेज मिल रही है, उसे धारण करना, पास विद आनर बनना। बाकी यह चाहिए, यह चाहिए... ऐसी इच्छायें रखना तुम्हारा लक्ष्य नहीं। तुम किसी भी मनुष्य आत्मा से लेन-देन करके हिसाब-किताब नहीं बनाओ। बाप की याद में रह कर्मातीत बनने का पुरुषार्थ करो।

गीत: बचपन के दिन भुला न देना...

धारणा के लिए मुख्य सार: 
1) लौकिक सब इच्छायें छोड़ ईश्वरीय कुल की वृद्धि करने में मददगार बनना है, कोई भी डिससर्विस का काम नहीं करना है।
2) लेन-देन का कनेक्शन एक बाप से रखना है, किसी देहधारी से नहीं।

वरदान: ब्राह्मण जीवन में बधाईयों की पालना द्वारा सदा वृद्धि को प्राप्त करने वाले पदमापदम भाग्यवान भव !

स्लोगन: सच्ची सेवा द्वारा सर्व की आशीर्वाद प्राप्त करने वाले ही तकदीरवान हैं। 

परमात्म प्यार में समा जाओ 
बापदादा का बच्चों से विशेष स्नेह वा शुभ ममता है। जैसे माँ की बच्चों में ममता होती है, ऐसे ब्रह्मा माँ की आप बच्चों से विशेष ममता है सिर्फ तड़फते नहीं हैं लेकिन समा जाते हैं। ऐसे आप भी बाप के स्नेह में सदा समाये रहो। व्यक्त से अव्यक्तवतन वासी बन जाओ।
२२-०१-२०१२, रविवार
''अव्यक्त-बापदादा'' रिवाइज:02-05-74 
अब बाप-समान सर्व गुण सम्पन्न बनो 
महारथीपन के लक्षण 

वरदान: यथार्थ विधि द्वारा व्यर्थ को समाप्त कर नम्बरवन लेने वाले परमात्म सिद्धि स्वरूप भव 

स्लोगन: अपकारी पर भी उपकार करने वाला ही ज्ञानी तू आत्मा है। 

परमात्म प्यार में समा जाओ 
त्यागी और तपस्वी अर्थात् सदा बाप की लग्न में लवलीन, प्रेम के सागर में समाए हुए, ज्ञान, आनन्द, सुख, शान्ति के सागर में समाये हुए को ही कहेंगे-तपस्वी। ऐसे त्यागी, तपस्वी मूर्त बनो।


स्वमानः- मै Light might स्वरुप हूं


२३-०१-२०१२, सोमवार


श्रेष्ठ बनना है तो श्रीमत पर पुरा पुरा चलो, श्रीमत पर न चलना ही सबसे बडी खामी है !
प्रश्नः कीन बच्चोका गला घुंट जाता है ? बुध्धिसे ज्ञान नीकल जाता है ?
उतरः जो चलते चलते अपवित्र बन जाते है, पढाइ छोड बाप को फारगती दे देते है, उनकी बुध्धिसे ज्ञान नीकल जाता है, जब तक  







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