Friday, May 25, 2012

25-05-2012's Murli


२५-०५-२०१२, शुक्रवार
मीठे बच्चे,
श्रीमत पर पवित्र बनो तो धर्मराज की सजाओं से छुट जायेंगे, हीरे जैसा बनना है तो ज्ञान अमृत पियो, विष को छोड़ो !
प्रश्नः सतयुगी पद का सारा मदार किस बात पर है ?
उतरः पवित्रता पर ! तुम्हें याद में रह पवित्र जरुर बनना है ! पवित्र बनने से ही सद्दगति होगी ! जो पवित्र नहीं बनते वे सजा खाकर अपने धर्म में च्ले जाते है ! तुम भल घर में रहो परन्तु किसी देहधारी को याद नही करो, पवित्र रहो तो ऊंच पद मिल जायेगा !
गीतः तुम्हें पाके हमने जहान पा लिया है...http://www.youtube.com/watch?v=hmfEXisfScw
धारणा के लिए मुख्य सार
१.योग बल द्वारा विकर्मों के सब हिसाब-किताब चुक्तू कर आत्मा को शुध्ध और वायुमण्डल को शान्त बनाना है !
२.बाप की श्रीमत पर स्म्पूर्ण पावन बनने की प्रतिज्ञा करनी है ! विकारों के वश होकर स्वर्ग की रचना में विघ्न रूप नहीं बनना है !
वरदानः साक्षीपन के अचल आसन पर विराजमान रहने वाले अचल-अडोल, प्रकृतिजीत भव !
प्रकृति चाहे हलचल करे या अपना सुन्दर खेल दिखाये-दोनो में प्रकृतिपति आत्मायें साक्षी होकर खेल देखती है ! खेल देखने में मजा आता है, घबराते नहीं ! जो तपस्या द्वारा साक्षीपन की स्थिति के अचल आसन पर विराजमान रहने का अभ्यास करते है, उन्हें प्रकृति वा व्यक्तियों की कोई भी बातें हीला नहीं सकती ! प्रकृति और माया के ५-५ खिलाड़ी अपना खेल कर रहे है आप उसे साक्षी होकर देखो तब कहेंगे अचल अडोल, प्रकृतिजीत आत्मा !
स्लोगनः मन-बुध्धि को एक बाप में एकाग्र करने वाले ही पूज्य आत्मा बनते है ! 

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