Wednesday, May 21, 2014

21-05-2014's Murli

२१-०५-२०१४, बुधवार

मुरली सार: “मीठे बच्चे – तुम यहाँ मनुष्य से देवता बनने की ट्यूशन लेने आये हो, कौड़ी से हीरा बन रहे हो”प्रश्न: तुम बच्चों को इस पढ़ाई में कोई भी खर्चा नहीं लगता है – क्यों ?
उत्तर: क्योंकि तुम्हारा बाप ही टीचर है। बाप बच्चों से खर्चा (फी) कैसे लेगा। बाप का बच्चा बनें, गोद में आये तो वर्से के हकदार बनें। तुम बच्चे बिना खर्चे कौड़ी से हीरे जैसा देवता बनते हो। भक्ति में तीर्थ करेंगे, दान-पुण्य करेंगे तो खर्चा ही खर्चा। यहाँ तो बाप बच्चों को राजाई देते हैं। सारा वर्सा मुफ्त में देते हैं। पावन बनो और वर्सा लो।
धारणा के लिए मुख्य सार:१.स्वयं को गरीब से साहूकार बनाने के लिए बाप से अविनाशी ज्ञान रत्न लेने हैं, यह एक-एक रत्न लाखों रूपयों का है, इनकी वैल्यु जानकर पढ़ाई पढ़नी है। यह पढ़ाई ही सोर्स ऑफ इनकम है, इसी से ऊंच पद पाना है।
२.राम सम्प्रदाय में आने के लिए सम्पूर्ण पवित्र जो एक बाप है, उसका ही संग करना है। कुसंग से सदा दूर रहना है। सबसे बुद्धियोग हटाकर एक बाप में लगाना है।
वरदान: सेवा में रहते कर्मातीत स्थिति का अनुभव करने वाले तपस्वीमूर्त भवसमय कम है और सेवा अभी भी बहुत है। सेवा में ही माया के आने की मार्जिन रहती है। सेवा में ही स्वभाव, संबंध का विस्तार होता है, स्वार्थ भी समाया होता है, उसमें थोड़ा सा बैलेन्स कम हुआ तो माया नया-नया रूप धारण कर आयेगी इसलिए सेवा और स्व-स्थिति के बैलेन्स का अभ्यास करो। मालिक हो कर्मन्द्रियों रूपी कर्मचारियों से सेवा लो, मन में बस एक बाबा दूसरा न कोई – यह स्मृति इमर्ज हो तब कहेंगे कर्मातीत स्थिति के अनुभवी, तपस्वीमूर्त।


स्लोगन: कारण रूपी निगेटिव को समाधान रूपी पॉजिटिव बनाओ।


Download link for Hindi full Murli

21-05-2014, Wednesday

Download link for English full Murli




No comments:

Post a Comment