Sunday, September 29, 2013

27-09-2013'S Murli

२७-०९-२०१३, शुक्रवार


मुरली सार: मीठे बच्चे – देह सहित सबकी याद भूल, बाप जो है जैसा है उसे यथार्थ पहचान स्वयं को बिन्दी समझ बिन्दी रूप से बाप को याद करो
प्रश्न: कौन सा ज्ञान इस समय बाप से ही तुम्हें मिलता है और कोई नहीं दे सकते ?
उत्तर: तुम स्त्री-पुरूष साथ में रहते गृहस्थ व्यवहार की सम्भाल करते पवित्र रहो, यह ज्ञान अभी इसी समय बाप तुम्हें देते हैं और कोई यह ज्ञान दे नहीं सकता। तुम्हें दान तो 5 विकारों का करना है लेकिन मुख्य है काम, जिस पर पूरी विजय पानी है। सर्वशक्तिमान बाप की याद और श्रीमत पर चलने से ही यह ताकत मिलती है।
गीत: दु:खियों पर रहम करो……….
धारण के लिए मुख्य सार:१.दिल से बाप को याद कर जायदाद की खुशी में रहना है। पूरा पावन जरूर बनना है।
२.विचार करना है – “आत्मा कितनी छोटी है और उसमें कितना अविनाशी पार्ट नूँधा हुआ है”, बिन्दू बन बिन्दू बाप की याद में रहना है।
वरदान: अनेक प्रकार की आग से बचने और सर्व को बचाने वाले सच्चे रहमदिल भव ।आज का मानव अनेक प्रकार की आग में जल रहा है, अनेक प्रकार के दु:ख, चिंतायें, समस्यायें.. भिन्न-भिन्न प्रकार की यह चोट जो आत्माओं को लगती है, यह अग्नि जीते हुए जलने का अनुभव कराती है। लेकिन आप ऐसे जीवन से निकल श्रेष्ठ जीवन में आ गये, आप शीतल सागर के कण्ठे पर बैठे हो। अतीन्द्रिय सुख, शान्ति की प्राप्ति में समाये हुए हो, तो रहमदिल बन अन्य आत्माओं को भी अनेक प्रकार की आग से बचाओ। गली-गली में ज्ञान स्थान बनाकर सबको ठिकाना दो।
स्लोगन: जिनकी एक बाप से सच्ची प्रीत है उन्हें अशरीरी बनना सहज है।
Download link for Hindi full Murli

27-09-2013, Friday






No comments:

Post a Comment