Friday, November 14, 2014

13-11-2014's Murli


१३-११-२०१४, गुरुवार

“मीठे बच्चे – देही-अभिमानी बनकर सार्विस करो तो हर कदम में सफलता मिलती रहेगी”प्रश्न: किस स्मृति में रहो तो देह-अभिमान नहीं आयेगा ?
उत्तर: सदा स्मृति रहे कि हम गॉडली सर्वेन्ट हैं। सर्वेन्ट को कभी भी देह-अभिमान नहीं आ सकता। जितना-जितना योग में रहेंगे उतना देह-अभिमान टूटता जायेगा।
प्रश्न: देह-अभिमानियों को ड्रामा अनुसार कौन-सा दण्ड मिल जाता है ?
उत्तर: उनकी बुद्धि में यह ज्ञान बैठता ही नहीं है। साहूकार लोगों में धन के कारण देह-अभिमान रहता है इसलिए वह इस ज्ञान को समझ नहीं सकते, यह भी दण्ड मिल जाता है। गरीब सहज समझ लेते हैं।
धारणा के लिए मुख्य सार:१.सदा इसी खुशी वा नशे में रहना है कि अभी हम ईश्वरीय परिवार के हैं, स्वयं भगवान हमें पढ़ा रहे हैं, उनका प्यार हमें मिल रहा है, जिस प्यार से हम देवता बनेंगे।
२.इस बने-बनाये ड्रामा को एक्यूरेट समझना है, इसमें कोई भूल हो नहीं सकती। जो एक्ट हुई फिर रिपीट होगी। इस बात को अच्छे दिमाग से समझकर चलो तो कभी गुस्सा नहीं आयेगा।
वरदान: बुराई में भी अच्छाई का अनुभव करने वाले निश्चयबुद्धि बेफिक्र बादशाह भवसदा यह स्लोगन याद रहे कि जो हुआ अच्छा हुआ, अच्छा है और अच्छा ही होना है। बुराई को बुराई के रूप में न देखें। लेकिन बुराई में भी अच्छाई का अनुभव करें, बुराई से भी अपना पाठ पढ़ लें। कोई भी बात आये तो “क्या होगा” यह संकल्प न आये लेकिन फौरन आये कि “अच्छा होगा”। बीत गया अच्छा हुआ। जहाँ अच्छा है वहाँ सदा बेफिक्र बादशाह हैं। निश्चयबुद्धि का अर्थ ही है बेफिक्र बादशाह।

स्लोगन: जो स्वयं को वा दूसरों को रिगार्ड देते हैं उनका रिकार्ड सदा ठीक रहता है।

13-11-2014, Thursday

No comments:

Post a Comment