Sunday, November 16, 2014

15-11-2014's Murli


१५-११-२०१४, शनिवार

“मीठे बच्चे – तुम हो त्रिमूर्ति बाप के बच्चे, तुम्हें अपने तीन कर्तव्य याद रहें – स्थापना, विनाश और पालना”प्रश्न: देह-अभिमान की कड़ी बीमारी लगने से कौन-कौन से नुकसान होते हैं ?
उत्तर: १.देह-अभिमान वालों के अन्दर जैलसी होती है, जैलसी के कारण आपस में लून-पानी होते रहते, प्यार से सेवा नहीं कर सकते हैं। अन्दर ही अन्दर जलते रहते हैं। २.बेपरवाह रहते हैं। माया उन्हें बहुत धोखा देती रहती है। पुरूषार्थ करते-करते फाँ हो जाते हैं, जिस कारण पढ़ाई ही छूट जाती है। ३.देह-अभिमान के कारण दिल साफ नहीं, दिल साफ न होने कारण बाप की दिल पर नहीं चढ़ते। ४.मूड ऑफ कर देते। उनका चेहरा ही बदल जाता है।
धारणा के लिए मुख्य सार:१.मौलाई मस्ती में रहकर स्वयं को स्वतन्त्र बनाना है। किसी भी बन्धन में नहीं बंधना है। माया चूही से बहुत-बहुत सम्भाल करनी है, खबरदार रहना है। दिल में कभी भी शैतानी ख्याल न आयें।
२.बाप द्वारा जो बेशुमार धन (ज्ञान का) मिलता है, उसकी खुशी में रहना है। इस कमाई में कभी भी संशयबुद्धि बन थकना नहीं है। स्टूडेन्ट लाइफ दी बेस्ट लाइफ है इसलिए पढ़ाई पर पूरा-पूरा ध्यान देना है।
वरदान: व्यर्थ संकल्प रूपी पिल्लर्स को आधार बनाने के बजाए सर्व संबंध के अनुभव को बढ़ाने वाले सच्चे स्नेही भवमाया कमजोर संकल्प को मजबूत बनाने के लिए बहुत रॉयल पिल्लर्स लगाती है, बार-बार यही संकल्प देती है कि ऐसा तो होता ही है, बड़े-बड़े भी ऐसा करते हैं, अभी सम्पूर्ण तो हुए नहीं हैं, जरूर कोई न कोई कमजोरी तो रहेगी ही…यह व्यर्थ संकल्प रूपी पिल्लर्स कमजोरी को और मजबूत कर देते हैं। अब ऐसे पिल्लर्स का आधार लेने के बजाए सर्व संबंधों के अनुभव को बढ़ाओ। साकार रूप में साथ का अनुभव करते सच्चे स्नेही बनो।

स्लोगन: सन्तुष्टता सबसे बड़ा गुण है, जो सदा सन्तुष्ट रहते हैं वही प्रभु प्रिय, लोक प्रिय व स्वयं प्रिय बनते हैं।

15-11-2014, Saturday


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