Tuesday, July 17, 2012

Swaman-14


कर्म करते हद की इच्छाओं से परे, न्यारी-प्यारी, और साक्षी-द्रष्टा की सीट पर सदा सेट रहनेवाली मैं संतुष्टमणि आत्मा हूँ !

इच्छा मात्रम् अविद्या का अभ्यास, हद की इच्छाओं से उपर उठकर अपने आदि अनादि स्थिति को सदा सामने रख न्यारा-प्यारा साक्षी द्रष्टा रहकर सदा संतुष्ट रहना है, किसी भी चीज-वस्तु की इच्छा नहीं ! 

No comments:

Post a Comment