Tuesday, July 31, 2012

Swaman-30

उमंग-उत्साह रूपी दो पंखो से उडनेवाली मैं फरिस्ता हूँ ।

हर कार्य, प्रवृति और सेवा अगर उमंग-उत्साह से करेंगे तो सबकुछ करते हुए थकान कभी नहीं लगेगी । संगमयुग में इस अंतिम जन्म में थकी हुइ आत्मा को बाबा ने उमंग-उत्साह के पंख देकर फरिस्ता बनाया है । मुझे अभी फरिस्ता बन बाबा के साथ वापस अपने घर जाना है इसलिए मैं सदा सर्व कार्य, प्रवृति, सेवा, साधना, तपस्या उमंग-उत्साह से कर हल्कापन महसुस करुँगी ।

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